VIDEO: राहुल गांधी ने 2013 में नहीं फाड़ा होता वो अध्यादेश, तो बच सकती थी संसद की सदस्यता, जानें पूरा मामला
अध्यादेश को मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कैबिनेट से पास किया गया और मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया. इसके बाद राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी थी. उन्होंने अध्यादेश को बकवास बताया था.
नई दिल्ली, 24 मार्च: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi)को मोदी सरनेम (Modi Surname Defamation Case) को लेकर टिप्पणी करने पर दायर मानहानि केस में 2 साल की सजा हुई है. कोर्ट के आदेश के 24 घंटे बाद ही राहुल गांधी की संसद की सदस्यता रद्द कर दी गई.
नेटिज़ेंस 2013 में हुई एक घटना को याद कर रहे हैं, 10 साल पहले राहुल गांधी ने अपनी ही सरकार के एक अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी थी. अगर वो अध्यादेश लागू हो गया होता, शायद राहुल गांधी की संसद की सदस्यता रद्द नहीं होती. Rahul Gandhi On Disqualified: सदस्यता खोने पर बोले राहुल गांधी, भारत की आवाज़ के लिए लड़ रहा हूं, हर कीमत चुकाने को हूं तैयार
मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) में संशोधन के लिए एक अध्यादेश लाया. अध्यादेश में वर्तमान में सांसदों और विधायकों को आपराधिक मामलों में सजा सुनाए जाने पर अयोग्य ठहराए जाने से राहत की व्यवस्था की गई थी.
अध्यादेश को मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कैबिनेट से पास किया गया और मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया. इसके बाद राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी थी. उन्होंने अध्यादेश को बकवास बताया था. मामला 27 सितंबर 2013 का है. बाद में इस अध्यादेश को कैबिनेट ने वापस ले लिया था.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है. इस संबंध में लोकसभा सचिवालय की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है. राहुल केरल के वायनाड से सांसद थे. अब वह 8 साल तक चुनाव नहीं पाएंगे.
जिस तरह से मानहानि केस में सूरत कोर्ट के फैसले के 26 घंटे बाद राहुल की सांसदी खत्म की गई है, उससे देश में सियासी घमासान तेज हो गया है. कांग्रेस की तरफ से देशभर में प्रदर्शन हो रहा है. वहीं विपक्ष का भी राहुल को समर्थन मिला है.