फ्रीडरिष मैर्त्स ने नाटो के मौजूदा स्वरूप पर उठाया सवाल
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी के अगले चांसलर बनने जा रहे फ्रीडरिष मैर्त्स ने नाटो के "मौजूदा स्वरूप" में बने रहने पर सवाल उठाया है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप नाटो के संदर्भ में यूरोपीय देशों पर अपनी सुरक्षा खुद करने के लिए दबाव बनाते रहे हैं.रविवार को जर्मनी के आम चुनाव में सीडीयू/सीएसयू के सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरने के बाद सरकारी टीवी चैनल एआरडी से बातचीत में पार्टी नेता फ्रीडरिष मैर्त्स ने नाटो के लेकर चिंता जताई है. मैर्त्स का कहना है, "मैंने नहीं सोचा था कि कभी ऐसा कुछ टीवी शो में कहूंगा, लेकिन डॉनल्ड ट्रंप के पिछले हफ्ते के बयान के बाद...यह साफ है कि यह सरकार यूरोप के भविष्य के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करती."

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मौजूदा स्वरूप पर सवाल

पिछले हफ्ते ट्रंप प्रशासन ने यूरोपीय सहयोगियों को यह कह कर चौंका दिया था कि उन्हें अपनी सुरक्षा के बारे में खुद सोचना चाहिए और अमेरिका पर ज्यादा निर्भर नहीं रहना चाहिए. इसके साथ ही ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन युद्ध खत्म करने पर रूस के साथ बातचीत शुरू करने की घोषणा कर दी और वो भी यूरोप को इसमें शामिल किए बगैर.

अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने यूरोपीय देशों को चेतावनी दी है कि "कठोर रणनीतिक सच्चाइयां" अमेरिका को यूरोप की सुरक्षा पर प्राथमिक रूप से ध्यान देने से रोकेंगी.

जून में होने वाली नाटो की बैठक के संदर्भ में मैर्त्स ने कहा कि वह यह देखने के लिए उत्सुक हैं, "क्या हम अब भी नाटो के मौजूदा स्वरूप पर बात करेंगे या फिर हमें तुरंत ही स्वतंत्र यूरोपीय सुरक्षा तंत्र को बहुत जल्दी से स्थापित करना होगा."

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एक नए युग की शुरुआत

मैर्त्स के बयान पर डच विदेश मंत्री कैस्पर वेल्डकांप ने कहा है, "इससे संकेत मिलता है कि हम एक नए युग के प्रारंभ में हैं. बर्लिन की दीवार गिरने के साथ जो युग शुरु हुआ था वह खत्म हो चुका है." ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले वेल्डकांप ने यह बात कही. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय देशों को अमेरिका के साथ अपने रिश्तों में "वास्तविक अपेक्षाएं" रखनी होंगी.

शुक्रवार को मैर्त्स ने सरकारी प्रसारक जेडडीएफ से कहा कि जर्मनी को इस संभावना के लिए तैयार होने की जरूरत है कि ट्रंप नाटो के आपसी रक्षा वादे पर पूरी तरह से टिके नहीं रहेंगे.

मैर्त्स का कहना है कि इसका मतलब है कि जर्मनी को अमेरिका पर निर्भरता घटानी होगी, खास तौर से उनके परमाणु सुरक्षा बल पर. मैर्त्स ने यूरोपीय परमाणु शक्तियों फ्रांस और ब्रिटेन के साथ उनके परमाणु सुरक्षा के विस्तार पर बातचीत करने की भी पैरवी की है.

मैर्त्स अटलांटिक पार संबंधों के प्रबल समर्थक रहे हैं. निवर्तमान जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के मुकाबले वह रूस के खिलाफ ज्यादा कठोरता की बात करते हैं. मैर्त्स के शासन में यूक्रेन को मध्यम दूरी की टॉरस मिसाइल देने की भी पहल हो सकती है. शॉल्त्स ने इसका हमेशा विरोध किया है.

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माक्रों और ट्रंप की मुलाकात

फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात करने अमेरिका जा रहे हैं. इससे पहले सोमवार को उन्होंने कहा कि वह जोर दे कर कहेंगे, "राष्ट्रपति पुतिन के सामने आप कमजोर नहीं पड़ सकते. यह आप नहीं हैं, यह आपकी पहचान नहीं है, यह आपके हित में नहीं हैं. आप अगर पुतिन के सामने कमजोर होंगे तो फिर चीन के सामने आप भरोसेमंद कैसे होंगे?" माक्रों ने कहा है कि वह यूक्रेन में शांति की कोशिशों में यूरोप को शामिल करने के लिए ट्रंप से बात करेंगे.

इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी रक्षा मंत्री ने ब्रसेल्स में नाटो सहयोगियों के साथ बैठक के बाद इस बात पर जोर दिया था कि अमेरिका को यूक्रेन से सहयोग खींचना होगा ताकि वह एशिया प्रशांत क्षेत्र पर ध्यान दे सके और यूरोपीय देशों की सुरक्षा प्राथमिक तौर पर यूरोप पर छोड़ दी जाए.

एनआर/आरपी (रॉयटर्स, डीपीए)

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