IANS C-Voter's Nation 2021 Survey: देश में आतंकवाद और भ्रष्टाचार से अधिक बेरोजगारी को लेकर लोग चिंतित, नेताओं पर उतार रहे हैं गुस्सा

आईएएनएस सी-वोटर स्टेट ऑफ द नेशन 2021 के नवीनतम सर्वेक्षण में देश में राजनीति की धारणा के बारे में कई आश्चर्यजनक विवरण सामने आए हैं. सर्वेक्षण के अनुसार, लोगों को बेरोजगारी के बारे में सबसे अधिक चिंता है, कोविड-19 महामारी और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के परिणामस्वरूप लोगों में यह भावना पनपी है.

भ्रष्टाचार, आतंकवाद और नौकरी/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: File Photo)

नई दिल्ली, 16 जनवरी: आईएएनएस सी-वोटर स्टेट ऑफ द नेशन 2021 के नवीनतम सर्वेक्षण में देश में राजनीति की धारणा के बारे में कई आश्चर्यजनक विवरण सामने आए हैं. सर्वेक्षण के अनुसार, लोगों को बेरोजगारी (Unemployment) के बारे में सबसे अधिक चिंता है, कोविड-19 (COVID-19) महामारी और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के परिणामस्वरूप लोगों में यह भावना पनपी है. सर्वेक्षण के अनुसार, बड़े पैमाने पर लोग टीके और समाज पर महामारी के प्रभाव के बारे में चिंतित हैं. आश्चर्यजनक रूप से लोगों ने मौजूदा स्थिति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को दोषी नहीं ठहराया. सर्वेक्षण से स्पष्ट है कि लोगों ने मुख्यमंत्रियों पर अपना गुस्सा उतारा.

यह लोगों के मन में स्पष्टता को भी दशार्ता है कि एक प्रधानमंत्री क्या कर सकता है और मुख्यमंत्रियों को क्या करना चाहिए. सर्वेक्षण से यह भी पता चलता है कि किसानों के विरोध को लेकर लोगों से पोलराइज्ड प्रतिक्रिया मिली है. एक तरफ, विरोध के पहले दिन लोगों ने महसूस किया कि किसानों का आंदोलन एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है और सरकार को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, जबकि दूसरी ओर, लोगों के एक वर्ग ने किसानों के विरोध पर नाराजगी जताई. सर्वेक्षण की एक और दिलचस्प बात यह पता चली है कि राजग शासन के दौरान भ्रष्टाचार सबसे बड़ी चिंता के तौर पर निचले पायदान पर आ गई है. यह तब नहीं था जब यूपीए सत्ता में थी.

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मूल्य वृद्धि और गरीबी जैसे मुद्दों को लेकर लोगों के बीच चिंता बढ़ी है. आश्चर्यजनक रूप से, यहां तक कि एक मुद्दे के रूप में आतंकी हमले भी लोगों की प्राथमिकता के पैमाने पर निचले स्थान पर रहे. इससे यह भी पता चलता है कि पीएम मोदी भ्रष्टाचार और आतंकवाद के मुद्दे पर अच्छी तरह से काम करने में सक्षम रहे हैं और सरकार की छवि को अच्छी तरह से पेश किया गया है. दूसरी ओर, लोगों की प्राथमिकता में सांसारिक मुद्दे बढ़ गए हैं.

सर्वेक्षण यह भी दशार्ता है कि जब योजनाओं के क्रियान्वयन की बात आती है, तो लोगों ने इसकी सफलता और विफलता का श्रेय राज्य सरकारों को दिया. लोगों ने मौजूदा विधायकों को भी दोष नहीं दिया, क्योंकि दोष सीधे मुख्यमंत्रियों पर गया, जिन्हें राज्यों के सीईओ के रूप में देखा गया.

दूसरी ओर, लोगों ने केंद्र सरकार पर लॉकडाउन और किसानों के विरोध प्रदर्शन जैसे मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार पर आरोप भी नहीं लगाए. सर्वेक्षण में एक महत्वपूर्ण बिंदु पर प्रकाश डाला गया है कि भले ही प्रधानमंत्री की पहल से सीधे जुड़े हुए मुद्दे हों, लोग अभी भी मोदी पर बहुत विश्वास करते हैं. यहां तक कि लॉकडाउन और लोगों के सामने आने वाली कठिनाइयों से भी प्रधानमंत्री पर से उनका विश्वास नहीं डिगा. देश भर में 30,000 से अधिक उत्तरदाताओं के बीच यह सर्वेक्षण किया गया.

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