Oxygen Express: पीएम नरेंद्र मोदी ने की ऑक्सीजन एक्सप्रेस की लोको पायलट की सराहना
33 साल की गजनी और उनकी सह-पायलट एनपी अपर्णा और नीलम कुमारी ने तमिलनाडु के जोलारपेट्टई से बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड स्टेशन तक 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से छह क्रायोजेनिक कंटेनरों में 120 टन तरल मेडिकल ऑक्सीजन लेकर ट्रेन चलाई, जिसमें 90 मिनट में 125 किमी की दूरी तय की गई.
बेंगलुरू: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने रविवार को दक्षिण पश्चिम रेलवे (SWR) की महिला लोको पायलट शिरिषा गजनी (Shirisha Ghajini) से संवाद किया. उन्होंने 21 मई को जमशेदपुर (Jamshedpur) से बेंगलुरु (Bengaluru) तक पहुंची ऑक्सीजन एक्सप्रेस (Oxygen Express) का संचालन किया था. पीएम ने इस काम के लिए उनकी खूब सराहना की. पीएम मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में कर्नाटक (Karnataka) की शिरिषा गजनी से बात करते हुए उनसे कहा कि सभी माताओं और बहनों को यह सुनकर गर्व होगा कि यह ऑक्सीजन एक्सप्रेस एक महिला चालक दल द्वारा चलाई जा रही थी. कोरोना महामारी के बीच Supreme Court का बड़ा एक्शन, बेहतर Oxygen आवंटन के लिए किया नेशनल टास्क फोर्स का गठन
गजनी से दो मिनट तक हुई अपनी बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा, "देश की हर महिला को आप पर गर्व होगा. केवल वे ही नहीं, हर भारतीय को आप पर गर्व होगा."
उन्होंने आगे कहा, "शिरिषा जी आप एक शानदार काम कर रही हैं. आप जैसी कई महिलाएं कोरोनोवायरस महामारी के दौरान आगे आईं और देश को बीमारी के खिलाफ लड़ने की ताकत दी. आप नारी शक्ति का एक बेहतरीन उदाहरण भी हैं."
गजनी ने मोदी को अंग्रेजी में बताया कि जब उन्होंने ऑक्सीजन एक्सप्रेस को चलाने के दौरान उन्होंने अपने काम को बड़े मजे से किया. वह कहती हैं, "मैंने इस मिशन के लिए खुशी-खुशी काम किया, जिसमें सेफ्टी, फॉर्मेशन, लीकेज वगैरह कई चीजें शामिल रहीं."
33 साल की गजनी और उनकी सह-पायलट एनपी अपर्णा और नीलम कुमारी ने तमिलनाडु के जोलारपेट्टई से बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड स्टेशन तक 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से छह क्रायोजेनिक कंटेनरों में 120 टन तरल मेडिकल ऑक्सीजन लेकर ट्रेन चलाई, जिसमें 90 मिनट में 125 किमी की दूरी तय की गई.
रेलवे के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "महिला पायलट क्रू ने जब जोलारपेट्टई में अपनी बारी आने पर ट्रेन के इलेक्ट्रिक इंजन को संभाला और इसे 125 किमी के लिए बेंगलुरु के लिए रवाना किया, तब उन्होंने एक ऐसे क्षेत्र में प्रवेश किया, जिसे लंबे समय तक पुरुषों के लिए रिजर्व माना जाता रहा है."