मुस्लिम व्यापारी ने कपड़े पर गंगा जल से बनी स्याही से लिखी भगवद् गीता

वाराणसी के एक मुस्लिम व्यापारी ने सफेद सूती कपड़े की बड़ी चादर पर गंगा की मिट्टी और पानी का उपयोग कर सुलेख में श्रीमद भगवद् गीता लिखी है. वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित मशहूर हस्तियों को अपनी कलात्मक कृतियों का तोहफा देना चाहते हैं.

Bhagavad Gita (File Photo)

वाराणसी, 16 फरवरी : वाराणसी के एक मुस्लिम व्यापारी ने सफेद सूती कपड़े की बड़ी चादर पर गंगा की मिट्टी और पानी का उपयोग कर सुलेख में श्रीमद भगवद् गीता लिखी है. वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित मशहूर हस्तियों को अपनी कलात्मक कृतियों का तोहफा देना चाहते हैं. साड़ी व्यवसायी हाजी इरशाद अली (53) ने सूती कपड़े पर पवित्र कुरान, हनुमान चालीसा और अन्य धार्मिक ग्रंथों को भी इसी शैली में लिखा है. इरशाद ने कहा, जब मैं 14 साल का था, तब मैंने शव को दफनाने से पहले कफन पर डालने के लिए आधे मीटर के कपड़े के टुकड़े पर शाहदतेन लिखना शुरू किया था.

शाहदतेन का शाब्दिक अर्थ है विश्वास की घोषणा, यह घोषित करना कि केवल एक ही ईश्वर है, अल्लाह, और मुहम्मद उनके दूत हैं. लिखने का जुनून और बढ़ गया, और मैंने पवित्र कुरान को कपड़े पर लिखने का फैसला किया. गंगा की मिट्टी, आब-ए-जमजम (जमजम पानी), जाफरान और गोंद से बनी स्याही से कुरान के सभी 30 पैराग्राफ को पूरा करने में लगभग छह साल लग गए. इस भारी-भरकम किताब की बाइडिंग के लिए मशहूर बनारसी सिल्क ब्रोकेड का इस्तेमाल किया गया है. श्रीमद्भगवद् गीता को उसी शैली और आकार में लिखने के लिए, उन्होंने इस काम के लिए स्याही तैयार करने के लिए गंगा जल के साथ गंगा मिट्टी और गोंद का इस्तेमाल किया. उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता को समझने के लिए संस्कृत सीखी. यह भी पढ़ें : UP: दो मालगाड़ियों में टक्कर, आधा दर्जन डिब्बे पटरी से उतरे, 15 ट्रेनें प्रभावित

उन्होंने कहा, मैंने एक संस्कृत अनुवाद पुस्तक खरीदी और भाषा सीखने के लिए स्थानीय पुजारी की मदद ली. उन्होंने सूती कपड़े के टुकड़ों पर विष्णु शस्त्रनाम, हनुमान चालीसा और राष्ट्रगान भी लिखा है. दिलचस्प बात यह है कि उनका पूरा परिवार लेखन के इस जुनून से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि इस काम में पत्नी, दो बेटियों और दो बेटों समेत परिवार के सभी सदस्य उनका साथ देते हैं. कपड़े की चादरें उनकी पत्नी और बेटियों द्वारा तैयार की जाती हैं, जबकि स्याही उनके बेटों द्वारा तैयार की जाती है.

Share Now

\