Kisan Sansad: मानसून सत्र के बीच आज से चलेगी 'किसानों की संसद', जंतर-मंतर से दिल्ली की सीमाओं तक बढ़ाई गई सुरक्षा
किसान नेता राकेश टिकैत (Photo: ANI)

नई दिल्ली: एक तरफ संसद का मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) चल रहा है. वहीं, दूसरी तरफ आज सदन के बाहर जंतर-मंतर (Jantar Mantar) पर किसानों की 'संसद' चलेगी. केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान गुरुवार से जंतर-मंतर पर भारी सुरक्षा के बीच आंदोलन शुरू करेंगे. दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल (Anil Baijal) ने 9 अगस्त तक अधिकतम 200 किसानों द्वारा प्रदर्शन की विशेष अनुमति दी है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) गाजीपुर बॉर्डर से अन्य किसान नेताओं के साथ सिंघु बॉर्डर के लिए निकल गए हैं. आज जंतर मंतर पर किसानों का नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन है. Kisan Andolan: 22 जुलाई से जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' का आयोजन, ये है आंदोलनकारियों की रणनीति. 

गाजीपुर बॉर्डर से किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, 200 लोग संसद जाएंगे और वहां किसान संसद लगाएंगे और पंचायत करेंगे. यह सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा. हम यहां से सिंघु बॉर्डर जाएंगे और वहां से बसों से जंतर मंतर जाएंगे. जंतर-मंतर पर पंचायत होगी जिसे किसान संसद का नाम दिया गया है.

दिल्ली में बढ़ाई गई सुरक्षा

आज किसान जंतर मंतर पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे. इस प्रदर्शन में किसान कई जगहों से जंतर मंतर आएंगे. इस दौरान टिकरी बॉर्डर पर सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं. संसद के मानसून सत्र के बीच तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए जंतर-मंतर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

न्यूज एजेंसी ANI ने सुबह की जंतर-मंतर, सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर की कुछ तस्वीरें भी शेयर की हैं. दोनों ही जगह पर पुलिस की कड़ी सुरक्षा है. कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को हर रोज 11 बजे से लेकर 5 बजे तक जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की सशर्त इजाजत दी गई है. किसान चाहते थे कि वे वहां से मार्च करते हुए संसद तक जाएं, लेकिन इसकी इजाजत नहीं दी गई है.

कोरोना नियमों का करना होगा पालन

दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) को एक शपथपत्र देने के लिए कहा गया है कि सभी कोविड मानदंडों का पालन किया जाएगा और आंदोलन शांतिपूर्ण होगा.

SKM ने कहा कि संसद का मानसून सत्र यदि 13 अगस्त को समाप्त होगा तो जंतर-मंतर पर उनका विरोध प्रदर्शन भी 13 अगस्त तक जारी रहेगा. हालांकि उपराज्यपाल ने 9 अगस्त तक धरने की अनुमति दी है.

इस साल 26 जनवरी को एक ट्रैक्टर रैली के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के बाद यह पहली बार है जब अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान यूनियनों को शहर में अनुमति दी है.

9 अगस्त तक चलेगा आंदोलन 

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, उपराज्यपाल अनिल बैजल, जो डीडीएमए के अध्यक्ष भी हैं, ने गुरुवार से 9 अगस्त तक हर दिन अधिकतम 200 किसानों द्वारा पूर्वाह्न 11 बजे से शाम पांच बजे तक जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की मंजूरी दी है.

आदेश में कहा गया है, "उन्हें निर्दिष्ट बसों द्वारा पुलिस एस्कॉर्ट के तहत निर्धारित मार्ग से लाया जाएगा तथा उन्हें कोविड-उपयुक्त व्यवहार (मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाए रखना, नियमित रूप से हाथ धोना और सैनिटाइटर आदि का उपयोग करना) और भारत सरकार और एनसीटी दिल्ली सरकार द्वारा समय-समय पर कोविड​​​​-19 महामारी के संबंध में जारी अन्य सभी दिशानिर्देशों / निर्देशों / एसओपी का सख्त अनुपालन करना होगा."

कानून वापसी की मांग पर अडिग हैं किसान 

देशभर के हजारों किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं, उनका दावा है कि यह न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर देगा और उन्हें बड़े कार्पोरेट घरानों की दया पर छोड़ देगा. सरकार इन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के तौर पर पेश कर रही है. किसान यूनियनों की सरकार के साथ 10 दौर से अधिक की बातचीत हो चुकी है लेकिन यह दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है.

एसकेएम ने शुरू में प्रस्ताव दिया था कि विरोध प्रदर्शन करने वाले किसान संसद से कुछ मीटर की दूरी पर जंतर-मंतर पर हर दिन 'किसान संसद' आयोजित करेंगे.

किसान यूनियन के नेता ने कहा था, "हम 22 जुलाई से मॉनसून सत्र समाप्त होने तक 'किसान संसद' आयोजित करेंगे और 200 प्रदर्शनकारी हर दिन जंतर-मंतर जाएंगे. प्रत्येक दिन एक स्पीकर और एक डिप्टी स्पीकर चुना जाएगा."नेता ने कहा था, "पहले दो दिनों में एपीएमसी अधिनियम पर चर्चा होगी. बाद में अन्य विधेयकों पर भी हर दो दिन में चर्चा होगी."