Kala-Azar: कालाजार से पश्चिम बंगाल में एक की मौत, जानें क्या है घातक ब्लैक फीवर; लक्षण और बचाव के तरीके
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में बुधवार, 4 अक्टूबर को काला-अजार संक्रमण जिसे काला बुखार भी कहा जाता है, से एक 47 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु हो गई. बिहार के व्यक्ति ने शहर के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल के कोलकाता में बुधवार, 4 अक्टूबर को काला-अजार संक्रमण जिसे काला बुखार भी कहा जाता है, से एक 47 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु हो गई. बिहार के व्यक्ति ने शहर के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. उस व्यक्ति की पहचान अवधेश पासवान के रूप में की गई है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पासवान को बार-बार बुखार आने की शिकायत थी और बुखार कम नहीं होने के बाद उन्हें हावड़ा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हालांकि, अगले दिन उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें कोलकाता शिफ्ट कर दिया गया था. अस्पताल के आईसीयू में भर्ती होने के 24 घंटे के भीतर उन्होंने स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन में अंतिम सांस ली. सावधान! बच्चें को पिलाते हैं फॉर्मूला मिल्क? डराने वाली रिपोर्ट आई सामने, शिशु को हो सकती ये गंभीर बीमारी.
इससे पहले राज्य में पिछले साल कालाजार के 57 मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें कोई मौत नहीं हुई थी. टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया कि पासवान को बार-बार बुखार आने की शिकायत थी और बुखार कम नहीं होने के बाद उन्हें हावड़ा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हालांकि, अगले दिन उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें कोलकाता शिफ्ट कर दिया गया था. अस्पताल के आईसीयू में भर्ती होने के 24 घंटे के भीतर उन्होंने स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन में अंतिम सांस ली.
कालाजार क्या है?
कालाजार या काला बुखार एक धीमी गति से बढ़ने वाली और प्राकृतिक रूप से होने वाली बीमारी है जो लीशमैनिया जीनस के प्रोटोजोआ परजीवी के कारण होती है. भारत में इस रोग का कारण बनने वाला एकमात्र परजीवी लीशमैनिया डोनोवानी है. इसे विसेरल लीशमैनियासिस या दम-दम बुखार के नाम से भी जाना जाता है.
संक्रमण के कई बार कुछ लक्षण नहीं दिखते हैं तो वहीं कई मामलों में तेज लक्षण दिखते हैं. काला अजार में अवधि आमतौर पर 2-4 महीने होती है. ठीक से इलाज न होने पर रोगी 6 माह से 2 वर्ष के बाद स्थिति घातक हो सक्तो है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, कालाजार के लक्षणों में अनियमित बुखार, वजन घटना, प्लीहा और यकृत का बढ़ना और एनीमिया है. कालाजार के ज्यादातर मामले ब्राजील, पूर्वी अफ्रीका और भारत में होते हैं.