नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का अधिकार देने वाले अनुच्छेद 35 A पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई एक बार फिर टल गई है. अब यह सुनवाई अगले साल 19 जनवरी को होगी. इससे पहले तक उम्मीद थी कि आज सुप्रीम कोर्ट इस मामले को संविधान पीठ में भेजने पर फैसला कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से सुनवाई टालने की याचिका पर विचार करके यह सुनवाई टाली. बता दें कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि राज्य में जल्द होने वाले स्थानीय निकायों के चुनाव के मद्देनजर इस मामले को आगे के लिए टाल दी जाए. सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. गौरतलब है कि 27 अगस्त को भी सर्वोच्च अदालत में अनुच्छेद 35 A को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई होनी थी, जो नहीं हो सकी. उससे पहले 6 अगस्त को हुई सुनवाई में जजों की कमेटी ने 35 A पर कई तरह के सवाल पूछे थे.
Supreme Court has deferred hearing on Article 35A, next hearing on 19 January, 2019: Supreme Court Advocate Varun Kumar pic.twitter.com/OwSKA4JOJP
— ANI (@ANI) August 31, 2018
Hearing on #Article 35A:ASG Tushar Mehta representing J&K submitted before SC, "All the security agencies are engaged in the preparation of the local body elections in the state." AG KK Venugopal appearing for Centre told SC,"Let local body elections finish in a peaceful manner."
— ANI (@ANI) August 31, 2018
क्या है अनुच्छेद A:
भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद द्वारा यह कानून 14 मई 1954 को लागू किया गया था.आर्टिकल 35A जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है, यह इस राज्य के अपने अलग संविधान में शामिल है, जिसके मुताबिक राज्य में रहने वाले नागरिकों को कई विशेषाधिकार दिए गए हैं.
अनुच्छेद 35A, धारा 370 का ही हिस्सा है. इस धारा के कारण दूसरे राज्यों का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है.
अनुच्छेद 35 A को दी गई है चुनौती
अनुच्छेद 35ए की संवैधानिक वैधता को याचिकाओं के जरिए चुनौती दी गई है.एनजीओ 'वी द सिटीजन' ने मुख्य याचिका 2014 में दायर की थी.इस याचिका में कहा गया है कि इस अनुच्छेद के चलते जम्मू कश्मीर के बाहर के भारतीय नागरिकों को राज्य में संपत्ति खरीदने का अधिकार नहीं है,और इसे हटाने की मांग की है.
वहीं सुनवाई का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि अगर नागरिकता के कानून को तोड़ा गया तो धारा 370 भी उसी के साथ खत्म होगा और जम्मू-कश्मीर और भारत के बीच विलय भी खत्म हो जाएगा.