INX Media Case: पी चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से राहत, ईडी की गिरफ्तारी पर एक दिन के लिए रोक

सुप्रीम कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम को प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी से राहत एक दिन और बढ़ा दी

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम (Photo Credit-PTI)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया (INX Media Case) मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम (P. chidambaram) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गिरफ्तारी से राहत एक दिन और बढ़ा दी. चिदंबरम के वकीलों ने मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के लिए गिरफ्तारी से पहले जमानत की मांग करते हुए दलील दी कि मनी लॉन्ड्रिंग रोधी अधिनियम को पूर्वव्यापी रूप से लागू किया जा रहा है. चिदंबरम का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत को बताया कि आरोप कथित रूप से 2007 में लगाए गए, लेकिन धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधान 2009 में प्रभावी हुए। इसके बावजूद, ईडी ने चिदंबरम के खिलाफ इन प्रावधानों को लागू किया है.

सिंघवी ने दलील की कि चिदंबरम के खिलाफ कानून के मुख्य प्रावधान 2009 में पीएमएलए के तहत अनुसूचित थे. जबकि इससे एक साल पहले ही 2007-08 में कथित एफआईपीबी की मंजूरी दी गई थी. सिंघवी ने अदालत को बताया कि चिदंबरम पर जिन धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, वे तब मौजूद नहीं हुए थे, जब कथित लेन-देन हुआ था. सिंघवी ने अदालत से कहा कि आप एक व्यक्ति को साजिशकर्ता के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि यह कानून उस समय मौजूद नहीं, जिस समय आरोप लगाया गया था. जांच एजेंसियों द्वारा अपनाई गई पूछताछ के तरीके पर दलील देते हुए सिंघवी ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि वे चिदंबरम से स्वीकारोक्ति का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि जांच एजेंसियां एक गलत तस्वीर पेश कर रही हैं कि चिदंबरम अपनी बात पर अस्पष्ट थे.

इस बीच वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी चिदंबरम का प्रतिनिधित्व करते हुए सीबीआई की हिरासत में रहे चिदंबरम की कस्टोडियल पूछताछ के रिकॉर्ड के लिए एक आवेदन दायर किया. सिब्बल ने शीर्ष अदालत से कहा कि वह अदालत में सीलबंद लिफाफे में रिकॉर्ड जमा करने के ईडी के अनुरोध का विरोध करते हैं. सिब्बल ने अदालत को बताया कि ईडी उनके मुवक्किल के पीछे दस्तावेज पेश कर गिरफ्तारी और पूछताछ की मांग नहीं कर सकता। क्योंकि हिरासत के मामलों में यह संभव नहीं है.

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