International Mens Day 2023: समाज से लेकर न्यायपालिका तक पुरुष भी होते हैं भेदभाव का शिकार! जानें पुरूष दिवस की खास बातें!

प्रत्येक वर्ष 19 नवंबर को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है. यह दिवस पुरुषों की उन उपलब्धियों को उजागर करता है, जिन पर बहुत ज्यादा चर्चा नहीं होती है, उदाहरण के लिए उनके मानसिक स्वास्थ्य एवं भावनात्मक कल्याण इत्यादि.

International Mens Day 2023

प्रत्येक वर्ष 19 नवंबर को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है. यह दिवस पुरुषों की उन उपलब्धियों को उजागर करता है, जिन पर बहुत ज्यादा चर्चा नहीं होती है, उदाहरण के लिए उनके मानसिक स्वास्थ्य एवं भावनात्मक कल्याण इत्यादि. अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस महज एक उत्सव भर नहीं है, बल्कि ऐसा आयोजन है, जो सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मोर्चों पर पुरुषों की उपलब्धियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनके संघर्षों को आम समाज तक पहुंचाना आवश्यक है. माना जाता है कि अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस की संकल्पना प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को आयोजित अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को ध्यान में रखकर निर्धारित किया गया था. आइये बात करते हैं अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस से जुड़े तमाम महत्वपूर्ण मुद्दों पर..

पुरुष दिवस का इतिहास

पहली बार अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस 19 नवंबर 1999 में त्रिनिदाद एवं टोबैगो में मनाया गया था. दरअसल इसी दिन वेस्ट इंडीज के भारतीय मूल के प्रोफेसर डॉक्टर जेरोम तिलक सिंह ने अपने पिता का जन्मदिन मनाया था. इस अवसर पर उन्होंने लोगों से समाज के आम पुरुषों की आवाज उठाने, उनके सकारात्मक पहलुओं एवं उनकी समस्याओं को समाज में लाने के लिए प्रेरित किया था. उनके अनुसार इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस पुरुषों के रूप में मनाते हुए पुरुषों के खिलाफ कलंक को दूर करने, और उनकी उपलब्धियों को बढ़ावा देने के लिए एक अच्छा दिवस साबित हो सकता है. इस दिवस की सफलता का आकलन इसी से किया जा सकता है कि आज 80 से अधिक देशों में अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जा रहा है. एक अन्य जानकारी के अनुसार पहली बार 7 फरवरी 1992 को थॉमस ओस्टर द्वारा पुरुष दिवस मनाने की बात भी कही जाती है, लेकिन यह पुरुष दिवस केवल माल्टा में मनाया गया था. यह भी पढ़ें : झारखंड: प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक को लेकर तीन पुलिसकर्मी निलंबित

अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस क्यों जरूरी है

अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि अकसर पुरुषों से संबंधित कई मुद्दों पर समाज में खुलकर चर्चा नहीं होती है. जब उन्हें लेकर मानसिक एवं भावनात्मक कल्याण पर बहस होती है तब पुरुष पर प्रदाता यानी भरण पोषण की नैतिक जिम्मेदारियों थोपकर उनकी तमाम मूलभूत समस्याओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है. कुछ पुरुषों का यह भी मानना है कि अकसर उनके लिंग के कारण उन्हें कानूनी मामलों में संदेह का लाभ नहीं मिलता. अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस पुरुषों के इर्द-गिर्द के कलंक को चुनौती देने, लिंग के आधार पर उनकी मूल समस्याओं को सार्वजनिक करने, सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देने और अपनी पहचान पर जोर देने के संदर्भ में मनाया जाता है.

अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस का मूल उद्देश्य

अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस को सेलिब्रेट करने की मुख्य वजह समाज के आम पुरुषों के कल्याण, सेहत संबंधी समस्याओं और उनके संघर्षों को समाज के सामने चरितार्थ करना है. इस दिवस पर पुरुषों के साथ होने वाले भेदभाव को उजागर करना है. इस दिवस विशेष पर समाज के लोगों को बताया जाता है कि भेदभाव केवल महिलाओं के साथ ही नहीं, बल्कि बहुत सारे पुरुषों के साथ भी किया जाता है, इसे दूर करने के लिए लोगों को जागरूक किया जाना अति आवश्यक है.

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