ट्रेन में सफर दौरान अगर बिगड़ी आपकी तबीयत, तो तुरंत मेडिकल हेल्प पाने के लिए करें ये काम
अक्सर ट्रेन में यात्रा के दौरान तबियत बिगड़ने की खबर सामने आती रहती है. शायद आप नहीं जानते होंगे की भारतीय रेलवें ट्रेन और स्टेशन पर मेडिकल सहायता उपलब्ध कराने के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है. लेकिन इसकी जानकारी बहुत कम ही लोगो को है. भारतीय रेलवे ने सभी रेलवे स्टेशनों और सभी यात्री गाड़ियों में फर्स्टएड आपात देखभाल और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराईं है.
नई दिल्ली: अक्सर ट्रेन में यात्रा के दौरान तबियत बिगड़ने की खबर सामने आती रहती है. शायद आप नहीं जानते होंगे की भारतीय रेलवें ट्रेन और स्टेशन पर मेडिकल सहायता उपलब्ध कराने के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है. लेकिन इसकी जानकारी बहुत कम ही लोगो को है. भारतीय रेलवे ने सभी रेलवे स्टेशनों और सभी यात्री गाड़ियों में फर्स्टएड आपात देखभाल और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराईं है. लेकिन इसके बावजूद कई बार देखा गया है कि समय पर इलाज मुहैया नहीं होने के चलये यात्री की मौत हो जाती है. ऐसे में अगर आप या आपके आस-पास किसी को मेडिकल हेल्प की जरुरत पड़ती है तो आप इसे आसानी से ऐसे पा सकते है.
ट्रेन में तैनात सभी कर्मचारियों को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने का समुचित प्रशिक्षण दिया जाता है. जिससे इमरजेंसी के वक्त उनकी सहायता ली जा सके. इसी कड़ी में रेल मंत्रालय ने सभी रेलवे स्टेशनों और सभी यात्री गाडियों में फर्स्टएड चिकित्सा सुविधाएं प्रदान कर रहा है, जिसके लिए सभी तरह की दवाओं, ड्रेसिंग सामग्री से युक्त मेडिकल बॉक्स और ऑक्सीजन सिलेंडर तथा डिलीवरी किट आदि की समुचित व्यवस्था की गई है. ये वस्तुएं रेलगाड़ी अधीक्षक/गार्ड और स्टेशन मास्टर/स्टेशन अधीक्षकों के पास उपलब्ध कराई गई हैं.
मेडिकल इमरजेंसी के दौरान रखे इन बातों का ध्यान-
- रेल यात्रा के दौरान बीमार हो जाने अथवा घायल होने की स्थिति में यात्री प्राथमिक उपचार के लिए रेलगाड़ी अथवा स्टेशनों पर तैनात कर्मचारियों से संपर्क कर सकते हैं.
- ट्रेन और स्टेशनों पर तैनात कर्मचारियों जैसे टिकट चेकिंग स्टाफ, रेलगाड़ी अधीक्षकों, गार्डों, स्टेशन मास्टर आदि को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने का समुचित प्रशिक्षण दिया गया है.
- यात्रा के दौरान गंभीर चिकित्सीय आपात स्थिति होने पर यात्रियों के रूप में मौजूद चिकित्सकों की सेवाएं भी ली जा सकती हैं. ऐसे चिकित्सकों को यात्रा में रियायत दी जाती है और टीटीई के पास उपलब्ध आरक्षण चार्टों में उनकी पहचान अलग से दर्शायी जाती है, जिसे डिब्बे में भी प्रदर्शित किया जाता है.
- चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए मार्ग में अगले स्टेशन पर रेलवे के चिकित्सक अथवा प्राइवेट प्रेक्टिशनर का भी प्रबंध किया गया है.
- स्टेशन मास्टरों के पास निकटवर्ती रेलवे/सरकारी/प्राइवेट अस्पतालों/क्लिनिकों और एम्बुलेंस सेवाओं की सूची रखी गई है, जिसमें उनके पते, उपलब्ध सुविधाओं और फोन नम्बर आदि का ब्यौरा दिया गया है.
भारतीय रेलवे द्वारा जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 से 2017 के बीच लगभग 50,000 लोगों की मौत ट्रेन से टकराकर हुई है. रेलवे के मुताबिक, वर्ष 2015 से 2017 के बीच 49,790 मौतें ट्रेन की पटरियों पर हुई जिनमें सबसे ज्यादा 7,908 मौतें उत्तरी रेलवे क्षेत्र पर हुई, वहीं दक्षिणी रेलवे क्षेत्र में 6,149 मौतें और पूर्वी रेलवे क्षेत्र में 5,670 मौतें हुईं.