H3N2 Virus: आपके बच्चों के लिए कितना खतरनाक है यह फ्लू, ऐसे रखें ख्याल, यहां जानिए इसके बारे में सब कुछ

डॉक्टरों ने मंगलवार को कहा कि एच3एन2 वायरस के कारण फ्लू के संक्रमण की बढ़ती संख्या के बीच बच्चे विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं. मीडिया की खबरों के मुताबिक, डॉक्टरों ने बच्चों, विशेषकर 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में एच3एन2 मामलों में वृद्धि दर्ज की है. दिल्ली और पुणे के अस्पतालों के आईसीयू में शिशुओं और प्रीस्कूलरों को भी भर्ती कराया गया है.

H3N2 (Photo Credit : Twitter)

नई दिल्ली, 22 मार्च : डॉक्टरों ने मंगलवार को कहा कि एच3एन2 वायरस (H3N2 virus) के कारण फ्लू के संक्रमण की बढ़ती संख्या के बीच बच्चे विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं. मीडिया की खबरों के मुताबिक, डॉक्टरों ने बच्चों, विशेषकर 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में एच3एन2 मामलों में वृद्धि दर्ज की है. दिल्ली और पुणे के अस्पतालों के आईसीयू में शिशुओं और प्रीस्कूलरों को भी भर्ती कराया गया है. एच3एन2 संक्रमण के क्लासिक लक्षणों में खांसी, सर्दी, शरीर में दर्द, दस्त, उल्टी और बुखार शामिल हैं. गुरुग्राम के सी.के. बिड़ला अस्पताल में पीडियाट्रिक्स एंड नियोनेटोलॉजी के लीड कंसल्टेंट डॉ. सौरभ खन्ना ने आईएएनएस को बताया, "जब यह जटिल हो जाता है तो इससे कान में संक्रमण या निमोनिया हो सकता है और गंभीर मामलों में यह गंभीर श्वसन संकट भी पैदा कर सकता है, जिसके लिए कई बार ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की जरूरत होती है.

" पुणे के सूर्या मदर एंड चाइल्ड सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक्स की एचओडी और सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अमिता कौल ने कहा, "बच्चों में अस्थमा और अन्य बीमारियों जैसे मोटापा, फेफड़े की बीमारी, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है." कुछ मामलों में बुखार 104-105 एफ तक जा सकता है, उल्टी, लूज मोशन, खांसी/जुकाम और अत्यधिक मामलों में आक्षेप और उनींदापन जैसे लक्षण आमतौर पर 5-7 दिनों तक रहते हैं. कुछ रोगियों में लंबी अवधि तक लगातार खांसी भी देखी जा सकती है. यह भी पढ़ें : COVID-19 Update: देश में कोरोना वायरस संक्रमण के उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 7,026 हुई

कौल ने कहा, "अगर खांसी एक सप्ताह से अधिक समय से है, तो अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करने की सलाह दी जाती है. 6 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए खांसी के लिए काउंटर दवा का अधिक उपयोग न करें." प्रैक्टो के ईएनटी विशेषज्ञ सलाहकार डॉ. राजेश भारद्वाज ने आईएएनएस को बताया, "स्पाइक का प्राथमिक कारण प्रतिरक्षा कम होना है. पिछली दो सर्दियों के दौरान कोविड-19 के कारण हमें एच3एन2 का बहुत कम जोखिम था. स्पाइक का एक अन्य कारण पर्याप्त फ्लू टीकाकरण की कमी है." कौल ने कहा कि पर्याप्त आराम करने, तरल पदार्थ का सेवन बढ़ाने और सूक्ष्म पोषक तत्वों को शामिल करने के लिए अपने आहार में विविधता लाने से बच्चों को वायरस से लड़ने में मदद मिल सकती है.

कौल ने कहा, "माता-पिता को बुखार की दवाओं का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए, अत्यधिक उपयोग न करें, क्योंकि यह किडनी के कार्य को प्रभावित कर सकता है. बुखार के मामले में गुनगुना स्पंजिंग का अभ्यास करें और बच्चों को उच्च प्रोटीन आहार प्रदान करें. बाहर कदम रखते समय यह महत्वपूर्ण है कि वे भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें और यदि वे ऐसा करते हैं मास्क पहनना चाहिए." डॉक्टरों ने लोगों को हर साल नियमित रूप से फ्लू के टीके लगवाने, मास्क का उपयोग करने, नियमित रूप से हाथ धोने और भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहने की सलाह दी है.

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