Indo-China Stand-Off: सीडीएस जनरल बिपिन रावत का बड़ा बयान, कहा- चीन से बातचीत विफल होने पर निपटने के लिए 'सैन्य विकल्प' मौजूद

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने सोमवार को कहा कि अगर सैन्य और राजनयिक स्तर पर चीन के साथ बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकलता है तो भारत के पास चीन के दुस्साहस का जवाब देने के लिए "सैन्य विकल्प" भी मौजूद हैं.

सीडीएस जनरल बिपिन रावत (Photo Credit: PTI)

नई दिल्ली: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने सोमवार को कहा कि अगर सैन्य और राजनयिक स्तर पर चीन के साथ बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकलता है तो भारत के पास चीन के दुस्साहस का जवाब देने के लिए "सैन्य विकल्प" भी मौजूद हैं.

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद पर जनरल बिपिन रावत ने कहा "लद्दाख में चीनी सेना द्वारा किए गए उल्लंघन से निपटने के लिए सैन्य विकल्प केवल सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत विफल होने पर ही प्रयोग किया जाएगा."  हालांकि की सीडीएस ने उन सैन्य विकल्पों की विस्तार से जानकारी नहीं दी है. राजनाथ ने उच्चस्तरीय बैठक में पूर्वी लद्दाख में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

हालांकि सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयास चल रहे हैं. भारत और चीन के बीच पिछले तीन महीनों से इस मुद्दे पर बातचीत चल रही है, जिसमें पांच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता शामिल हैं, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला सका है. भारत ने पहले ही पूर्वी लद्दाख में फिंगर क्षेत्र से समान रूप से विघटन के चीनी सुझाव को खारिज कर दिया है.

उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में तब हालात और खराब हो गए जब 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों के साथ खूनी झड़प की. इस झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हुए थे, जबकि अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन के 35 जवान हताहत हुए, लेकिन चीन ने पीएलए (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) जवानों के हताहत होने की जानकारी अब तक छुपा रखी है.

इस घटना के बाद से भारत और चीन दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी. बताया जा रहा है कि बीजिंग ने 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी की गहराई वाले क्षेत्रों में सैन्य टुकड़ियां बढ़ाने के साथ ही अन्य सामग्रियों की आपूर्ति शुरू कर दी है. चीनी पक्ष ने एलएसी, पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश) और पूर्वी (सिक्किम, अरुणाचल) के तीन क्षेत्रों में सेना, तोपखाने और कवच का निर्माण शुरू कर दिया है. चीन ने उत्तराखंड के लिपुलेख र्दे के पास भी सैनिकों को जुटाया है. भारत, नेपाल और चीन के बीच एक त्रिकोणीय जंक्शन लिपुलेख दर्रा, कालापानी घाटी में स्थित है.

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