बिहार के 7 जिलों में छटांक भर भी गेहूं की नहीं हुई खरीदी
जून महीने की शुरुआत हो गई, लेकिन अभी तक बिहार के सात जिलों में किसानों से छटांक भर गेहूं की भी अधिप्राप्ति (सरकारी खरीद) नहीं हुई है. गेहूं की खरीद नहीं होने के कारण बिचौलिए औने-पौने भाव में गेहूं खरीद ले जा रहे हैं.
पटना : जून महीने की शुरुआत हो गई, लेकिन अभी तक बिहार के सात जिलों में किसानों से छटांक भर गेहूं की भी अधिप्राप्ति (सरकारी खरीद) नहीं हुई है. गेहूं की खरीद नहीं होने के कारण बिचौलिए औने-पौने भाव में गेहूं खरीद ले जा रहे हैं. राज्य में 30 जून तक गेहूं खरीदा जाना है. वैसे, जहां खरीद हुई है या हो रही है, वहां भी रफ्तार काफी धीमी है. सहकारिता विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में अब तक करीब 2700 टन गेहूं की खरीद हो पाई है, जबकि लक्ष्य दो लाख टन का रखा गया है.
औरंगाबाद जिले के अंबा के किसान श्याम जी पांडेय कहते हैं कि गेहूं की खेती तो इस साल बड़े उत्साह से की थी और इस खेती के भरोसे ही कई सपने भी संजोए थे. लेकिन अभी तक खरीद शुरू नहीं हो पाने के कारण अगली खेती करने, महाजनों का कर्ज चुकाने और अपनी अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए औने-पौने दाम में गेहूं बेच रहे हैं. यही हाल कई किसानों के भी हैं.
सहकारिता विभाग के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि बिहार के 38 जिलों में से सात जिलों- वैशाली, सारण, शेखपुरा, कटिहार, मधुबनी, औरंगाबाद और जमुई में अब तक गेहूं की खरीद शुरू नहीं हो पाई है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू की जानी थी, मगर लोकसभा चुनाव के कारण शुरू नहीं हो सकी थी, पिछले एक पखवाड़े से खरीद शुरू की गई है.
सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद भी मानते हैं कि चुनाव के कारण गेहूं खरीद में देरी हुई है, लेकिन अब इसमें तेजी आई है. उन्होंने दावा किया कि सरकार निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति कर लेगा. सूत्रों का कहना है कि इन जिलों में गेहूं की खरीद शुरू नहीं करने का मुख्य कारण गोदाम में स्थान नहीं होना है. सूत्रों का दावा है कि पैक्स और व्यापार मंडल गेहूं खरीदने से इसीलिए बच रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि पहले व्यापार मंडल द्वारा ही यहां गेहूं की खरीद की जाती थी, लेकिन पहली बार सहकारिता विभाग प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) के माध्यम से भी इस वर्ष गेहूं की खरीद कर रहा है. हालांकि ऐसे पैक्सों को इसमें शामिल नहीं किया गया है, जो पहले से डिफॉल्टर हों या वे जनवितरण प्रणाली की दुकान संचालित कर रहे हैं.
विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक 1500 से ज्यादा समितियों का चयन गेहूं खरीद के लिए किया गया है. सबसे ज्यादा समितियों का चयन मधुबनी जिले में हुआ है, जबकि पटना में गेहूं की खरीद में 135 से ज्यादा समितियां जुटी हुई हैं.
सहकारिता का विभाग का दावा है कि सुपौल में अब तक सबसे अधिक गेहूं की खरीद की गई है. बिहार के सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह ने फोन पर बताया कि कुछ ही दिन पूर्व सभी अधिकारियों की बैठक कर गेहूं खरीद में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा कि प्रतिदिन गेहूं खरीद की मॉनिटरिंग की जा रही है. उन्होंने दावा किया कि इस महीने तक लक्ष्य के मुताबिक, गेहूं की खरीद कर ली जाएगी.
मंत्री सिंह ने कुछ जिलों में गेहूं की खरीद शुरू नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर स्पष्ट तो कुछ नहीं कहा, लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा कि गोदाम के कारण विभाग को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, मगर सरकार का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा गेहूं खरीदने का है.