हाशिमपुरा मामला: हिंदू महासभा PAC के दोषी ठहराए गए जवानों की कोर्ट में करेगी पैरवी
हाशिमपुरा में 1987 में हुए नरसंहार मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 16 पुलिसकर्मियों को उम्र कैद की सजा सुनाने के बाद रविवार को अखिल भारत हिन्दू महासभा ने सरकार से इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करने की मांग की और कहा कि वह पीएसी के जवानों की शीर्ष अदालत में पैरवी करेगी.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हाशिमपुरा में 1987 में हुए नरसंहार मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 16 पुलिसकर्मियों को उम्र कैद की सजा सुनाने के बाद रविवार को अखिल भारत हिन्दू महासभा ने सरकार से इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करने की मांग की और कहा कि वह पीएसी के जवानों की शीर्ष अदालत में पैरवी करेगी.
यहां शारदा रोड स्थित कार्यालय में पत्रकार वार्ता में संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित अशोक शर्मा, जिला प्रवक्ता अभिषेक अग्रवाल एवं नगर अध्यक्ष भरत राजपूत ने कहा की यह मामला पीएसी जवानों की सरकारी ड्यूटी के दौरान हुआ था। इसलिए सरकार को उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करनी चाहिए.पीएसी जवानों को अपना समर्थन देते हुए उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ हिन्दू महासभा शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाएगी. यह भी पढ़े: सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री के प्रतिबंध पर सुनाया बड़ा फैसला, पूरी तरह से नहीं लगेगा बैन- कुछ शर्तें रहेंगी
इसके अलावा भीषण दंगे की निष्पक्ष जांच के लिए प्रदेश के ‘‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर पीठ के मंहत पीठाधीश्वर मानते हुए उन्हें पत्र भेजेगी.’’शर्मा ने कहा कि अदालत ने पीएसी के पूर्व जवानों को उम्र कैद की सजा सुनाई है जो न्याय नहीं है. गौरतलब है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले बुधवार को 16 पूर्व पुलिसकर्मियों को ‘‘निहत्थे, निर्दोष और निस्सहाय’’ लोगों की ‘‘लक्षित हत्या’’ का जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी. यह भी पढ़े: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, दिल्ली में कूड़े के ढेर साफ करने की जिम्मेदारी किसकी, LG या मुख्यमंत्री?
निचली अदालत के प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) के 16 पुलिसकर्मियों को बरी करने के 2015 के आदेश को पलटते हुए न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और विनोद गोयल की पीठ ने इस मामले को हिरासत में हत्या का मामला बताया जहां मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों के प्रभावी अभियोजन में कानूनी तंत्र नाकाम रहा.