
नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को 78 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 11वीं बार ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराया. उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर अब तक का अपना सबसे लंबा 98 मिनट का भाषण दिया. साल 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने 65 मिनट तक देशवासियों को संबोधित किया था. साल 2014 से लेकर 2024 तक पीएम मोदी ने अपने भाषण में हर बार जो बातें कहीं उसने भारत के भविष्य के विकास के एजेंडे की तस्वीर जनता के सामने रखी.
साल 2014 में पीएम मोदी ने अपने पहले भाषण में महिला सशक्तिकरण का मुद्दा उठाया था. उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि हर मां-बाप से पूछना चाहता हूं किसी की 10 साल या 12 साल की बेटी होती है तो मां-बाप चौंकन्ने रहते हैं, हर बात पर पूछते हैं कहां जा रही हो, कब आओगी, पहुंचने के बाद फोन करना. बेटियों से मां-बाप सैकड़ों सवाल पूछते हैं लेकिन क्या कभी मां-बाप ने बेटे से ये सारे सवाल पूछने की हिम्मत की है.
2015 के भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि गरीब के प्रति हमारा देखने का भाव ठीक नहीं है. राष्ट्र की इस कमी को सवा सौ करोड़ देशवासियों ने अपने मन के संकल्प से मिटना है. जिनके कारण हम अच्छे दिखते हैं, जिनके कारण हमारा अच्छा काम होता है उससे बड़ा हमारा कोई हितैषी नहीं है. इसलिए श्रमिकों का सम्मान, श्रमिकों का गौरव ये हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य होना चाहिए, ये हमारा राष्ट्रीय स्वभाव होना चाहिए. ये जन-जन की प्रवृति होनी चाहिए, ये जन-जन की वृति होनी चाहिए.
2016 के भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने पीएम जनधन योजना का जिक्र करते हुए कहा था कि, कभी-कभी देश में स्वभाव बन गया था, ये काम तो हो सकता है, ये काम तो कभी हो सकता है, ये काम तो अभी नहीं हो सकता है, ये काम तो अभी नहीं होगा, कभी होगा पता नहीं. निराशा ये हमारा मिजाज बनता जा रहा था. इसको तोड़ना, शासन में ऊर्जा भरना, जब कोई सिद्धि दिखती है तो उत्साह भी बढ़ती है, ऊर्जा भी बढ़ती है और संकल्प भी बड़ा धारदार हो जाता है और परिणाम भी निकट नजर आने लग जाता है. हमने जब प्रधानमंत्री जनधन योजना का संकल्प लिया तो यह एक प्रकार से असंभव काम था इतने सालों से बैंक और सरकार थी लेकिन सामान्य व्यक्ति देश की अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा का हिस्सा नहीं बन पाता था. ऐसे में 21 करोड़ परिवारों को जनधन योजना से जोड़कर असंभव को संभव किया.
2017 के संबोधन में पीएम मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र किया था. उन्होंने कहा कि हमारे जवान बलिदान देने में कभी पीछे नहीं रहे हैं. जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई तो दुनिया को हमारी और हमारे लोगों की ताकत का लोहा मानना पड़ा.
2018 के भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि दलित, ओबीसी, वंचित और महिलाओं के हितों की रक्षा करने के लिए हमारी संसद ने सं� type="submit">