HC on Suicide: आत्महत्या के लिए सिर्फ कमजोर मानसिकता वाले व्यक्ति जिम्मेदार, कोई और नहीं; दिल्ली हाई कोर्ट
Delhi High Court | PTI

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार, 17 अप्रैल को एक फैसले में इस बात पर जोर दिया कि आत्महत्या की जिम्मेदारी केवल नाजुक मानसिकता वाले व्यक्तियों की है, दूसरों की नहीं. जस्टिस अमित महाजन ने कहा, "कमजोर या दुर्बल मानसिकता वाले व्यक्ति द्वारा लिए गए गलत निर्णय के लिए किसी अन्य व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता." अदालत ने आगे विस्तार से बताया कि प्रेम में विफलता या खराब शैक्षणिक प्रदर्शन जैसे मामलों में व्यक्तियों को उकसाने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. Read Also: पत्नी को उसके माता-पिता की आर्थिक मदद करने से रोकना क्रूरता, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की टिप्पणी.

यह फैसला उस मामले में आया जहां एक व्यक्ति ने प्रेम में असफलता के कारण आत्महत्या कर ली थी, जिससे महिला को उकसाने के किसी भी आरोप से बरी कर दिया गया. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, 'अगर प्रेमी प्रेम में असफलता के कारण आत्महत्या करता है, तो महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.

हाई कोर्ट की टिप्पणी

आत्महत्या करने वाले व्यक्ति के पिता की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी. आवेदकों में से एक, महिला, मृतक के साथ रोमांटिक रिश्ते में थी. एक अन्य आवेदक एक कॉमन मित्र था.

यह आरोप लगाया गया कि आवेदकों ने मृतक को यह कहकर उकसाया कि उन्होंने एक-दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाए हैं और जल्द ही शादी करेंगे. अपने सुसाइड नोट में मृतक ने लिखा कि वह दो आवेदकों की वजह से आत्महत्या कर रहा है. अदालत ने आवेदकों को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि रिकॉर्ड पर रखे गए व्हाट्सएप चैट से प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि मृतक संवेदनशील स्वभाव का था और जब भी महिला उससे बात करने से इनकार करती थी तो वह लगातार आत्महत्या करने की धमकी देता था.

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सुसाइड नोट में पीड़ा व्यक्त की गई थी लेकिन उकसाने का संकेत नहीं दिया गया था. आवेदकों द्वारा धमकियों की प्रकृति और किसी भी उकसावे को निर्धारित करने के लिए मामले की सुनवाई आगे बढ़ेगी.