लोगों को ठगने के लिए RT-PCR रिपोर्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं साइबर चोर

अधिकारी ने कहा, "हमें फर्जी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट, कोरोना वैक्सीन के फर्जी पंजीकरण का उपयोग करके ठगे गए लोगों द्वारा शिकायतें मिल रही हैं. इन मामलों में, सिस्टम से ओटीपी कभी उत्पन्न नहीं होता है." अधिकारी ने बताया कि बिहार के नवादा, नालंदा, औरंगाबाद जैसे जिलों में साइबर अपराधी सक्रिय हैं.

साइबर फ्रॉड (Photo Credits: Pixabay)

पटना: एक ओर जहां सरकारी एजेंसियां (Government Agencies) कोविड -19 (COVID-19) मामलों से निपटने में व्यस्त हैं, वहीं साइबर (Cyber) अपराधी लोगों को ठगने के लिए फर्जी आरटी-पीसीआर (RT-PCR) टेस्ट रिपोर्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसी ही एक घटना पटना में तब सामने आई जब संतोष कुमार नाम के शख्स को उसके मोबाइल फोन पर आरटी-पीसीआर रिपोर्ट मिली. दो मिनट बाद, एक व्यक्ति ने संतोष से संपर्क किया और कहा कि उसकी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट गलती से उसके मोबाइल फोन पर भेज दी गई थी. अब, आपके मोबाइल पर एक ओटीपी (OTP) भेजा जाएगा, कृपया उस ओटीपी को साझा करें, उन्होंने संतोष से अनुरोध किया. COVID-19: डीडीएमए ने निजी कार्यालयों को घर से काम करने का आदेश दिया

साइबर क्राइम सेल के एक अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, "संतोष को इस तरह की फर्जीवाड़े के बारे में पता था और उन्होंने ओटीपी शेयर करने से इनकार कर दिया. यह सुनकर, कॉल करने वाला उससे नाराज हो गया और पुलिस में शिकायत करने की धमकी दी. संतोष ने कॉल काट दिया और नंबर को ब्लॉक कर दिया. उन्होंने साइबर क्राइम सेल में एक ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज की है."

अधिकारी ने कहा, "हमें एक व्यक्ति से एक और शिकायत मिली है, जिसने कहा कि जैसे ही उसने ओटीपी साझा किया, उसके पेटीएम वॉलेट से 5,000 रुपये निकाल लिये।"

अधिकारी ने कहा, "हमें फर्जी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट, कोरोना वैक्सीन के फर्जी पंजीकरण का उपयोग करके ठगे गए लोगों द्वारा शिकायतें मिल रही हैं. इन मामलों में, सिस्टम से ओटीपी कभी उत्पन्न नहीं होता है." अधिकारी ने बताया कि बिहार के नवादा, नालंदा, औरंगाबाद जैसे जिलों में साइबर अपराधी सक्रिय हैं.

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