COVID-19 Spike: दूसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक, लेकिन घातक नहीं: विशेषज्ञ
कोरोना की दूसरी लहर (COVID-19 Second Wave) ज्यादा खतरनाक बताई जा रही है. यह बुजुर्गों के लिए ही नहीं बल्कि युवा और बच्चों को भी इस बार ज्यादा अपनी चपेट में ले रही है. बच्चों के मामलों में अभी तक जो बात सामने आई है उसमें यह ज्यादा खतरनाक नहीं बताया जा रहा है.
नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर (COVID-19 Second Wave) ज्यादा खतरनाक बताई जा रही है. यह बुजुर्गों के लिए ही नहीं बल्कि युवा और बच्चों को भी इस बार ज्यादा अपनी चपेट में ले रही है. बच्चों के मामलों में अभी तक जो बात सामने आई है उसमें यह ज्यादा खतरनाक नहीं बताया जा रहा है, हालांकि संक्रमण की जद में आने वालों की संख्या पिछले बार के मुकाबले ज्यादा है. लखनऊ तेलीबाग के रहने वाले अंकुर के घर माता-पिता और पत्नी समेत सभी के मुंह का स्वाद चला गया है. सभी को हल्का जुकाम है. इनकी आठ माह की बेटी है जिसे हल्के जुकाम की शिकायत है. वह इसे लेकर परेशान हैं. कोरोना महामारी के बीच Oxygen Concentrators, Oxygen Cylinders और Nebulizer Machines की हो रही चर्चा, जानिए इनमें क्या है अंतर.
उन्होंने बच्ची को पैरासिटामॉल और अन्य प्रकार की दवाइयां शुरू कर दी हैं. उनका कहना है कि उन्हें छोटे बच्चों की कोई गाइडलाइन नहीं पता जिससे वह उसका उपयोग कर सकें. फिलहाल उन्होंने अपने को आइसोलेट कर लिया है. चिनहट के रमेश प्रताप सिंह बीते दिनों बाहर से लौटे और उन्हें जुकाम-बुखार की शिकायत है. बच्चे में यह संक्रमण न फैले इस कारण उन्होंने अपने को आइसोलेट कर लिया है. लेकिन वह भी परेशान हैं.
कोरोना को लेकर जारी कई स्टडीज और रिसर्च के अनुसार नया स्ट्रेन पहले के मुकाबले अधिक खतरनाक है, जो आसानी से इम्यून सिस्टम और एंटीबॉडीज से बचकर शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि नया स्ट्रेन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को पार कर आसानी से नुकसान पहुंचा सकता है. बच्चों में तेज बुखार, जुकाम, खांसी आदि के लक्षण देखे जा रहे हैं.
अभिभावकों के लिए चिंता की बात है. वयस्कों की तुलना में कोरोना से संक्रमित बच्चों का इलाज में काफी दिक्कतें सामने आ रही हैं.
केजीएमयू के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सिद्धार्थ कुंवर का कहना है कि जैसे किसी को पता चले कि उसे कोविड है. वह अपने को आइसोलेट कर लें. बाहर मास्क लगाकर ही निकलें. बच्चे के संक्रमण आने पर अगर उसे बुखार है तो पेरासिटामोल दें. अगर बुखार के साथ संक्रमण की चपेट में है तो एजिथ्रोमाइसिन यह एंटीबायोटिक के साथ वायरस के रेप्लिकेशन को भी रोकती है. विटामिन सी, विटामिन डी और जिंक का रोल है. इसे उपयुक्त मात्रा में दिया जाना चाहिए.
पिछली लहर की अपेक्षा बच्चे इस बार संक्रमण से ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. इसके साथ अगर कोई अन्य बीमारी है तो बच्चों को परेशानी हो सकती है लेकिन अगर नहीं तो संक्रमण ज्यादा नहीं टिकेगा. जानकारी के अभाव में ज्यादा लोग अस्पताल भागते हैं. अगर सही ढंग से जागरूक करें, तो बच्चे जल्दी स्वस्थ्य हो सकते हैं. ज्यादा गंभीर होने पर ही अस्पताल ले जाएं. हार्ट डिजीज के लक्षण वाले बच्चों को ज्यादा दिक्कत हो सकती है. कैंसर वाले बच्चों को यह ज्यादा प्रभावित करता है क्योंकि इनमें इम्युनिटी पावर पहले से ही कम है.
रानी अवंतिबाई जिला महिला अस्पताल (डफरिन) के बालरोग विषेशज्ञ डॉ. सलमान का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति संक्रमित आता है. तो वह बच्चे की जांच करा लें. बच्चे को भीड़ वाले इलाके से दूर रखें. बच्चे का आक्सीमीटर से एसपीओटी नापते रहें. देखने में आया है कि बच्चों से किसी और में संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है. इस कारण उन्हें बुजुर्गों से दूर रखें. बुखार आने पर सिर्फ पेरासिटामोल ही दें. संक्रमित बच्चों को मां के पास ही रखें. बच्चों की रिकवरी एक सप्ताह में हो जाती है. अभी तक बच्चों के स्वास्थ्य में कोविड के दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिले हैं. अगर बच्चों की वैक्सीन आ जाएगी तो इसकी समस्या ही खत्म हो जाएगी.
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के महानिदेशक डीएस नेगी ने कहा कि जो भी संक्रमित है. वह बड़ो से दूर रहें जो भी गाइडलाइन बड़ो की है. वही बच्चों के लिए भी है. इसी पर अमल करें. यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार कोविड का नया स्ट्रेन बच्चों में कितना खतरनाक है इस पर शोध हो रहा है. लेकिन अभी तक जो सामने आया है. उससे यह नहीं चलता है कि यह बच्चों को विषेश तौर पर नुकसान पहुंचा रहा है. फिर भी माता-पिता को सावधानी बरतनी चाहिये.