Budget 2019: मोदी सरकार के अंतरिम बजट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या हो जाएगा अमान्य ?
मोदी सरकार ने लोकसभा में शुक्रवार को करीब 27 लाख 84 करोड़ रुपये का अंतरिम बजट पेश किया. बजट के बाद जहां एक तरफ केंद्र के मंत्री इसकी तारीफों में जुट गए तो वहीं दूसरी तरह विपक्षी दलों ने जमकर निशाना साधा.
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने लोकसभा में शुक्रवार को करीब 27 लाख 84 करोड़ रुपये का अंतरिम बजट पेश किया. बजट के बाद जहां एक तरफ केंद्र के मंत्री इसकी तारीफों में जुट गए तो वहीं दूसरी तरह विपक्षी दलों ने जमकर निशाना साधा. इस बीच अंतरिम बजट को सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर चुनौती दी गई है. साथ ही मांग की गई है कि कल पेश हुए अंतरिम बजट को अमान्य किया जाए.
एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि अंतरिम बजट का संविधान में कोई प्रावधान नहीं है. संविधान के तहत, केवल पूर्ण वार्षिक बजट और लेखानुदान पेश करने का ही प्रावधान है. इसके अलावा लेखानुदान चुनावी साल में सीमित समय के लिए सरकारी खर्च की पूर्ति के लिए ली जाने वाली मंजूरी होती है, जबकि पूर्ण बजट बाद में निर्वाचन के बाद गठित हुई सरकार पेश करती है. इसलिए यह बजट निरस्त किया जाना चाहिए.
गौरतलब हो कि कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को अंतरिम बजट लोकसभा में पेश किया. मोदी सरकार का यह इस कार्यकाल का अंतिम बजट था. इस बजट के जरिए मोदी सरकार ने छोटे किसानों, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, छोटे और सीमांत कृषकों की मदद के लिए कई योजनाओं और कार्यक्रमों का ऐलान किया. इसके अलावा रक्षा बजट को भी बढाया गया है.
पहले लगा था 50 हजार का जुर्माना-
पिछले साल एडवोकेट शर्मा पर सुप्रीम कोर्ट ने 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. वित्तमंत्री अरुण जेटली के खिलाफ जनहित याचिका दायर करके शर्मा ने गंभीर आरोप लगाए थे. वकील ने अरुण जेटली पर बड़े कार्पोरेट घरानों के कर्ज माफ करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के पूंजीगत रिजर् से लूटपाट करने का आरोप लगाया था.
सुनवाई के दौरान वकील को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आपने अपनी जनहित याचिका में वित्तमंत्री को प्रतिवादी बनाया और इसके बाद कहा कि जबतक शर्मा 50 हजार रुपये जमा नहीं करते, उन्हें कोई भी जनहित याचिका दाखिल करने नहीं दिया जाए.