मुंबई लोकल में हर दिन 10 मौतें! बॉम्बे हाई कोर्ट ने रेलवे को लगाई फटकार, कहा सुरक्षा जरूरी
Bombay HC on Mumbai Local Deaths | PTI

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई लोकल ट्रेन नेटवर्क को लेकर शुक्रवार को बेहद गंभीर चिंता जताई. अदालत ने कहा कि "हर दिन औसतन 10 मुंबईकर लोकल ट्रेन में सफर करते हुए अपनी जान गंवा रहे हैं," जो कि एक "बेहद खतरनाक और चिंताजनक स्थिति" है. मुख्य न्यायाधीश अलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मारणे की पीठ ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए रेलवे से पूछा कि अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और आगे क्या करने की योजना है.

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9 जून को मुम्ब्रा में हुई भीषण दुर्घटना, जिसमें पांच लोगों की मौत हुई, ने एक बार फिर लोकल ट्रेन सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी. यह हादसा ओवरलोड कोच से गिरने के कारण हुआ था. हाईकोर्ट ने इस घटना को "बहुत दुर्भाग्यपूर्ण" बताया और कहा कि ऐसे हादसे दोबारा नहीं होने चाहिए.

ऑटोमैटिक दरवाजे लगाओ: कोर्ट

अदालत ने रेलवे को सुझाव दिया कि अब वक्त आ गया है जब ट्रेनों में ऑटोमैटिक क्लोजिंग डोर लगाए जाएं ताकि लोग चलती ट्रेन से गिर न सकें. कोर्ट ने कहा, "हम तकनीकी विशेषज्ञ नहीं हैं, लेकिन एक आम आदमी के नजरिए से कहें तो ये करना जरूरी है." रेलवे की ओर से जब कहा गया कि इस पर विचार किया जा रहा है, तो चीफ जस्टिस ने सख्त लहजे में कहा, "जो भी जरूरी हो, उसे करो. अब ये नहीं चल सकता."

2024 में अब तक 3,588 मौतें

रेलवे द्वारा पेश किए गए शपथपत्र में बताया गया कि सिर्फ 2024 में अब तक 3,588 लोगों की मौत हो चुकी है, यानी हर दिन औसतन 10 लोग. इनमें से अधिकतर मौतें चलती ट्रेन से गिरने, खंभों से टकराने, या प्लेटफॉर्म और ट्रेन के बीच की खाई में फंसने से हुईं. कोर्ट ने कहा कि "आप भले ही 2009 से तुलना कर 46 फीसदी मौतें कम होने की बात कर रहे हैं, लेकिन यह अभी भी बहुत ज्यादा है."

सुधार की योजनाएं और कोर्ट के निर्देश

केंद्र सरकार के अधिवक्ता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने बताया कि, रेलवे "Zero Death Mission" पर काम कर रही है. मुम्ब्रा हादसे की जांच के लिए एक मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम बनाई गई है. ट्रैक के पास दीवारें और फेंसिंग की योजना है. स्टेशन के भीड़भाड़ वाले प्लेटफॉर्म से स्टॉल हटाए जा रहे हैं.

हालांकि, कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं हुई और कहा कि रेलवे को ठोस टाइमलाइन के साथ रोडमैप पेश करना होगा. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि: सभी सुरक्षा उपायों और सुझावों को रिकॉर्ड में लाया जाए. दोनों कमेटियों (हाई-लेवल और मुम्ब्रा जांच) के सदस्यों की जानकारी साझा की जाए. कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी, तब तक सभी अपडेट प्रस्तुत करें.