लखनऊ, 4 अगस्त: हाईकोर्ट के आदेश के बाद शुक्रवार को एएसआई ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे शुरू कर दिया है. पहले दिन करीब सात घंटे तक सर्वे चला. मौजूद लोगों के अनुसार, टीम सुबह 7:44 बजे पहुंची थी. फिर शाम को 5:20 बजे टीम परिसर से बाहर निकली है.
इस दौरान काशी में जश्न का माहौल दिखाई दिया. जगह-जगह 'हर-हर महादेव' की गूंज सुनाई दी. महिलाओं ने कहा कि वे सभी सर्वे के कार्य से संतुष्ट हैं और जल्द ही सबको महादेव मिलेंगे. Gyanvapi Case: 'ज्ञानवापी मंदिर या मस्जिद नहीं बल्कि बौद्ध मठ है', बौद्ध धर्म ने SC में किया दावा, रिट दायर
ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद से ही काशी में जश्न का माहौल है. वहीं, शुक्रवार को जब मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी, उस वक्त भी काशी में हर-हर महादेव के नारे लग रहे थे.
इस बीच जुमे की नमाज की वजह से पौने दो घंटे तक सर्वे का काम बंद रहा था. इससे पहले 24 जुलाई को पहले दिन एएसआई की टीम ने साढ़े पांच घंटे तक सर्वे का काम किया था. अब शनिवार सुबह दोबारा सर्वे शुरू होगा. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट से इजाजत मिलने के बाद शुक्रवार को सुबह 7:40 बजे से ज्ञानवापी में एएसआई की टीम ने सर्वे शुरू कर दिया था.
4 घंटे बाद यानी 12 बजे जुमे की नमाज के लिए सर्वे को रोक दिया गया. दोपहर 3 बजे से सर्वे फिर शुरू हो गया. सर्वे टीम में तकरीबन कई दर्जन सदस्य हैं. ज्ञानवापी परिसर को 4 ब्लॉक में बांटा गया है. चारों तरफ कैमरे लगाए हैं. वीडियोग्राफी की जा रही है. ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार पर सबसे ज्यादा फोकस है. दीवार की बारीक स्कैनिंग की जा रही है. कलाकृतियों को देखा जा रहा है.
शनिवार से अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी सहयोग करेगी. यह जानकारी शाम मस्जिद कमेटी के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने दी. इससे पहले शुक्रवार और बीते 24 जुलाई को ज्ञानवापी में सर्वे के दौरान मस्जिद कमेटी के प्रतिनिधि नहीं मौजूद थे.
सैयद मोहम्मद यासीन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई के सर्वे पर स्थगन आदेश देने से इनकार कर दिया है. ऐसे में अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हुए सर्वे में सहयोग करेंगे.
आशा करते हैं कि न्यायालय के दिशा-निर्देश का निष्पक्ष तरीके से पालन होगा और हमारी मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. साथ ही 17 मई 2022 के सुप्रीम कोर्ट के अदालत के आदेश से हमारे धार्मिक अधिकार सुरक्षित रहेंगे.