आत्मनिर्भर भारत पैकेज: छोटे किसानों की आय बढ़ाने में मोदी सरकार की ये 11 घोषणाएं करेगी मदद
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को छोटे किसानों, कृषि उद्यमियों और कृषि संबंधित गतिविधियों पर आर्थिक पैकेज का ऐलान किया,इसके अंतर्गत उन्होंने 11 घोषणाएं कीं,
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को छोटे किसानों, कृषि उद्यमियों और कृषि संबंधित गतिविधियों पर आर्थिक पैकेज का ऐलान किया,इसके अंतर्गत उन्होंने 11 घोषणाएं कीं, जिनमें से 8 घोषणाएं वित्तीय सहायता से जुड़ी हैं, जबकि 3 घोषणाएं प्रक्रियाओं के सुधारों से संबंधित हैं। खास बात यह है कि इससे देश के करोड़ों किसानों की आय में जबर्दस्त इज़ाफा होगा.
वित्तीय सहायता से जुड़ी घोषणाएं -
1-हमारे कृषि उत्पादों को दुनिया भर में निर्यात किया जाता है। कई बार न्यूनतम मूल्य संवर्धन नहीं होने के कारण या फिर प्रसंस्करण के लिए सुविधाएं नहीं होने के कारण, इस काम में रुकावटें आती थीं। लिहाज़ा इस मद में 1 लाख करोड़ रुपए की घोषणा की गई। यह निधि एग्रीगेटर, एफपीओ, प्राइमरी कोऑपरेटिव सोसाइटी, फार्मगेट इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे कोल्ड चेन, यार्ड, कोल्ड स्टोरेज, आदि के इंफ्रास्ट्रक्चर में खर्च की जाएगी, ताकि फसल कटाई के बाद कोल्ड चेन मजबूत हो सके. कृषि के उद्यमी इसका लाभ उठा सकेंगे. यह भी पढ़े: निर्मला सीतारमण ने किया आत्मनिर्भर भारत पैकेज की दूसरी किस्त का ऐलान, जानिए किसानों, प्रवासी मजदूरों, स्ट्रीट वेंंडर्स और गरीबों को क्या मिला
2- माइक्रो फूड एंटरप्राइसेस के लिए 10 हजार करोड़ रुपए की घोषणा की गई है.वोकल फॉर लोकल और लोकल से ग्लोबल मिशन के तहत स्थानीय स्तर पर बनने वाले उत्पादों की मार्केटिंग विश्व स्तर पर करने के लिए इस निधि का प्रयोग होगा. इसमें हेल्थ एंड वेल्नेस, खाद्य प्रसंस्कृत उत्पाद मुख्य रूप से शामिल होंगे. इसमें 2 लाख माइक्रो एंटरप्राइसेस लाभान्वित होंगे.यह क्लस्टर बेस्ड होगा. उदाहरण के लिए बिहार में मखाना प्रसिद्ध है, तो वहां मखाना क्लस्टर स्थापित किया जाएगा. इसी तरह कश्मीर में जाफरान, तेलंगाना में हल्दी, आंध्रा प्रदेश में मिर्च, कर्नाटक में रागी, आदि जैसे क्लस्टर तैयार किए जाएंगे. इससे माइक्रोफंड एंटरप्राइसेस अपने उत्पादों की ब्रांडिंग कर सकेंगे. वन सम्पदा को भी इसमें शामिल किया जाएगा। इससे कई लाख लोगों की आय के साधान बढ़ेंगे.
3- बजट के अंतर्गत घोषित की गई प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के अंतर्गत 55 लाख लोगों को रोजगार दिया जाएगा। इससे भारत का मरीन एक्सपोर्ट दुगना करने का लक्ष्य है। इसके अंतर्गत मछुआरों को नए उपकरण मुहैया कराये जाएंगे। नई लैब स्थापित की जाएंगी, मछुआरों के बीमा के साथ-साथ उनकी नौकाओं का भी बीमा किया जाएगा। इस मद में 20 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। इसके अंतर्गत अगले पांच वर्षों में 70 लाख टन अतिरिक्त उत्पादन और एक लाख करोड़ रुपए के एक्सपोर्ट का लक्ष्य है.
4- चूंकि देश के कई हिस्सों से पशुओं में मुंहपका और खुरपका रोगों की शिकायतें आती रहती हैं. नेशनल एनिमल डिसीस कंट्रोल प्रोग्राम के तहत 13,343 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है.इसके अंतर्गत देश प्रत्येक जानवर (गाय, भैंस, बकरी, सुअर) का वैक्सीनेशन किया जाएगा। देश में ऐसे जानवरों की संख्या करीब 53 करोड़ है, जिनका टीकाकरण होगा. अब तक 1.5 करोड़ गाय और भैसों को टीके लगाये जा चुके हैं. इससे न केवल पशुओं को अच्छा जीवन मिलेगा, बल्कि दुग्ध उत्पादन में इज़ाफा भी होगा.
5- 15 हजार करोड़ रुपए डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किए जाएंगे। इसके अंतर्गत पशुओं के चारे का इंतजाम करने से लेकर डेरी के विकास संबंधी कार्य किया जाएंगे। इसमें निजी डेयरी उत्पादकों को भी इससे लाभान्वित किया जाएगा. कैटल फीड प्लांट बनाने, दुग्ध उत्पाद बनाने के लिए प्लांट लगाने पर भी इस निधि को खर्च किया जाएगा.
6- हर्बल उत्पादों के प्रोमोशन के लिए 4 हजार करोड़ रुपए की धनराशि तय की गई है। वर्तमान में नेशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड के सहयोग से 2.25 लाख हेक्टेयर भूमि पर हर्बल उत्पाद पैदा होते हैं. इसे बढ़ा कर 10 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य है. इससे किसानों की कुल 5000 करोड़ रुपए की आय होगी। केवल गंगा नदी के दोनों ओर के तटों पर 800 हेक्टेयर क्षेत्र में हर्बल और दवाएं बनाने वाले पौधे उगाये जाएंगे.
7- मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपए की घोषणा की गई है. ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 2 लाख मधुमक्खी पालकों को लाभ पहुंचेगा। विभिन्न प्रकार के मोम का आयात होता है.इसे बढ़ावा देने से भविष्य में आयात करने के बजाए भारत में बने मोम का उपयोग कर सकेंगे. और तो और निर्यात भी कर सकेंगे.इसमें महिलाओं को भी रोजगार मिलेगा.लोकल से ग्लोबल की दिशा में यह कदम हो सकता है.
8- टॉप टू टोटल - देश भर में लॉकडाउन की वजह से सप्लाई चेन कई स्तरों पर कमजोर पड़ गई है.उसे वापस से मजबूत बनाने के लिए 500 करोड़ रुपए की घोषणा की गई है. इससे फल व सब्जियों की सप्लाई चेन सुगम रूप से संचालित हो सकेगी.इसकी शुरुआत देश के हर कोने में टमाटर, प्याज और आलू पहुंचाने के लिए की गई थी. अब अन्य सब्जियों व फलों को भी इसके अंतर्गत लाया गया है. कोल्ड स्टोरेज में उत्पादों को रखने के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी. वहीं ट्रांसपोर्टेशन में भी सब्सिडी होगी.
नियमों में बदलाव
1- एसेंशियल कमोडिटीज़ एक्ट में संशोधन
आवश्यक वस्तुओं के लिए बनाये गए एसेंशियल कमोडिटीज़ एक्ट में संशोधन किया जाएगा. इससे किसानों को उनके उत्पादों का सही मूल्य मिल सकेगा. वर्तमान में भारी मात्रा में कृषि उत्पादों की पैदावार हो रही है. कई बार किसान सरकार की कई शर्तों की वजह से कई सारे उत्पाद निर्यात नहीं कर पाते और इस वजह से उनका नुकसान होता है.इस संशोधन के अंतर्गत दालों, एडिबल ऑयल, ऑयल सीड, मोटा अनाज, प्याज और आलू को नियंत्रण-मुक्त कर दिया जाएगा. आपात स्थितियों में ही इन चीजों पर दोबारा नियंत्रण लगाया जाएगा. फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए भी स्टॉक लिमिट नहीं होगी। इस बदलाव से किसानों की आय में निश्चित रूप से बढ़ौत्तरी होगी.अब उन्हें कम दामों पर अपने उत्पाद बेचने के लिए मजबूर नहीं होना होगा.
2- दूसरे राज्यों में व्यापार की होगी अनुमति
किसानों के लिए एक केंद्रीय कानून लाया जाएगा, जिसके अंतर्गत किसानों के पास अपने उत्पाद आकर्षक दामों पर बेचने के लिए विकल्प होंगे. अंतर-राज्यीय व्यापार को व्यवधान मुक्त किया जाएगा। कृषि उत्पादों को बेचने के लिए ई-ट्रेड का फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा. जिस तरह से मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की उत्पादक कंपनियों को ऐसी कोई बाध्यता नहीं होती, कि वो अपने उत्पाद किसे बेचेंगी, उसी तर्ज पर किसानों के समक्ष सारे व्यवधान खत्म किए जाएंगे। ये सभी एग्रीकल्चरल मार्केटिंग रिफॉर्म के अंतर्गत किया जाएगा, इससे करोड़ों किसानों की आमदनी बढ़ेगी.
3- बुआई से पहले तय कर सकेंगे फसल की कीमत
किसान जब बुआई करता है, तो उसे कुछ पता नहीं होता है कि उसके उत्पादों की कितनी कीमत मिलेगी। लेकिन अब अगर किसान बुआई से पहले यह भरोसा दिला सकें कि उनके उत्पाद कैसे होंगे और कितनी मात्रा में होंगे, तो सरकार किसानों को सीधे फूड प्रोसेसर कंपनियों, एग्रीगेटर, निर्यातकों, रीटेल कंपनियों से जोड़ने का काम करेगी. इससे किसान पहले से यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि उनकी फसल से उनकी कितनी कमाई होने वाली है। इसके लिए कानूनी ढांचा तैयार किया जा रहा है.