MANTO QUICK REVIEW: मंटो के डायलॉग्स है इसकी जान, गंभीर है फिल्म की कहानी
इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दकी उर्दू लेखक सआदत हसन मंटो की भूमिका की मुख्य भूमिका में हैं. नंदिता दास द्वारा निर्देशित इस फिल्म को विश्वभर के फिल्म फेस्टिवल्स में सम्मान प्राप्त हो चूका है
वेब सीरीज 'सेक्रेड गेम्स' से दर्शकों का मनोरंजन करने के बाद अब नवाजुद्दीन सिद्दीकी बिलकुल ही नए अंदाज में दर्शकों के सामने पेश होने जा रहे हैं. 'सेक्रेड गेम्स' में हमने उन्हें गैंगस्टर गणेश गायतोंडे के किरदार में देखा. एक ऐसा शख्स हो मुंबई को बदलने चला था. अब वो फिल्म 'मंटो' के साथ दर्शकों के सामने हाजिर हैं. फिर ये है कि यहां उनका किरदार देश बदलने चला है. नंदिता दस द्वारा निर्देशित फिल्म 'मंटो' में नवाज उर्दू लेखक सआदत हसन मंटो की भूमिका में नजर आ रहे हैं. इस फिल्म में विश्वभर के कई नामचीन फिल्म फेस्टिवल्स में गौरव और सम्मान प्राप्त किया. इसके बाद अब इसे एक कम्पलीट फिल्म के तौर पर भारत समेत अन्य कई देशों में बड़े पर्दे पर रिलीज किया जा रहा है.
ये फिल्म कल यानी कि 21 सितंबर की रिलीज होने जा रही है. इस समय हम इस फिल्म के प्रेस शो में मौजूद हैं और आपके लिए इस फिल्म का क्विक रिव्यू लेकर आए हैं.
फिल्म की शुरुआत में देखा गया कि इसकी कहानी प्री-इंडिपेंडेंस पीरियड में सेट की गई है. मंटो का किरदार निभा रहें नवाजुद्दीन सिद्दीकी देश की परिस्तिथि से परेशान है. देश मे वैश्यावृति और पार्टीशन के चलते तनाव है. मंटो का बॉम्बे शहर से खास लगाव है लेकिन यहां हिन्दू-मुस्लिम के बीच चल रहे तनाव के चलते वो भी पाकिस्तान चले जाते हैं. वहां जाने पर भी उन्हें मुम्बई शहर की याद आती है. मंटो का किरदार निभा रहे नवाज सोच में बेहद अलग हैं. वो समाज और राजनीति में चल रहे उथल पुथल से दुखी हैं और अपने लेख के जरिए उनके खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे हैं.मंटो का परिवार परेशान है क्योंकि वो अपने लेख से काफी कम कमा पाते हैं और घर का ख़र्च चलाने में भी तकलीफें आती हैं.
इस फिल्म का निर्माण विक्रम बत्रा, अजित अंधारे, नम्रता गोयल और नंदिता दास ने मिलकर किया है. फिल्म की पटकथा को भी नंदिता ने ही लिखा है. इसका म्यूजिक रफ्तार और स्नेहा खानवलकर ने मिलकर दिया है.