लता मंगेशकर के गीत Aye Mere Watan Ke Logon को सुनकर भावुक हो गए थे पंडित नेहरु, जानिए गाने की पूरी कहानी

इस गाने को प्रदीप ने लता मंगेशकर के सामने रखा. लेकिन लता जी ने इसे गाने से इंकार कर दिया, क्योंकि उनके पास रिहर्सल का वक्त नहीं था. ऐसे में वह किसी एक गाने पर खास ध्यान नहीं दे सकती थी.

लता मंगेशकर गाना ए मेरे वतन के लोगों (Image Credit: YouTube)

म्यूजिक डायरेक्टर विशाल ददलानी (Vishal Dadlani) ने इंडियन आइडल (Indian Idol) के मंच पर एक प्रतिभागी को 'ए मेरे वतन के लोगों' गाने को गाते हुए सुनकर ऐसा कमेंट किया जिसके बाद वह सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगे. विशाल ने इस गाने के बारे में कुछ गलत तथ्य लोगों के सामने रखे उन्होंने कहा कि इस गाने को लता मंगेशकर (Lata Mangehskar) ने पहली बार आजादी के दिन गाया था. लेकिन अब इस बात को लेकर विशाल ट्रोल हो रहे हैं. क्योंकि सच्चाई यह है लता जी ने यह गाना 1947 में नहीं बल्कि 1963 में गाया था. तो क्या है ऐ मेरे वतन गाने को लेकर पूरी कहानी. आज हम आपको इस स्टोरी में बताने जा रहे हैं.

दरअसल साल 1962 में चीन से युद्ध हारने के बाद देश में हर तरफ निराशा का माहौल था. देश का मनोबल टूटा नजर आ रहा था. ऐसे में कवि प्रदीप जो मुंबई में माहिम बीच पर एक शाम टहल रहे थे. तभी उनके जहन में कुछ शब्द आए जिसे उन्होंने तुरंत कागज पर उतार दिया. उस गीत के शब्द थे ऐ मेरे वतन के लोगों. इस गाने को प्रदीप ने लता मंगेशकर के सामने रखा. लेकिन लता जी ने इसे गाने से इंकार कर दिया, क्योंकि उनके पास रिहर्सल का वक्त नहीं था. ऐसे में वह किसी एक गाने पर खास ध्यान नहीं दे सकती थी. लेकिन साल 1963 में दिल्ली में होने वाले गणतंत्र दिवस के मौके पर इस गाने को गाने के लिए कहा गया.

जिसके बाद लता ने इसकी रिहर्सल शुरू कर दी. वह अपनी बहन आशा भोसले के साथ इस गाने को गाने वाली थी इसलिए दोनों साथ रिहर्सल कर रहे थे. लेकिन जिस दिन दिल्ली जाना था उससे एक दिन पहले आशा भोसले ने जाने से इनकार कर दिया. ऐसे में लता जी को अकेले ही दिल्ली जाना पड़ा. इस समारोह में उस समय के राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, दिलीप कुमार, राज कपूर, महबूब खान जैसी बड़ी शख्सियत मौजूद थी. इस आयोजन के जरिये आर्मी जवानों के लिए फंड इकट्ठा किया जाना था.

लोगों से भरे हुए स्टेडियम में गाना गाने से पहले लता जी काफी नर्वस थी. लेकिन जब उन्होंने सभी के सामने इस गीत को गाया तो यह हमेशा हमेशा के लिए यादगार हो गया. यह गीत देश का सबसे लोकप्रिय गानों में से एक बनाया. कवि प्रदीप ने पहले ही लता जी से कहा था कि देखना यह गीत हमेशा याद किया जाएगा. कहना गलत नहीं होगा कि यह गाना आज शहीदों के लिए एक श्रद्धांजलि जीत में बदल चुका है. जो हर देशवासी के दिलों को छू लेता है.

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