विदेश की खबरें | आपके कुत्ते को प्रभावित करता है आपका तनाव का स्तर: अध्ययन
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. नॉटिंघम, आठ जनवरी (द कन्वरसेशन) कुत्ते हजारों वर्षों से मनुष्यों के साथ रहते आए हैं। वे शिकार, सुरक्षा और अन्य कई कामों में इस्तेमाल किए जाते रहे हैं, लेकिन आज वे मुख्य रूप से साथियों के रूप में हमारे जीवन का हिस्सा हैं। आज उनका जीवन पूर्वजों की तुलना में आसान लग सकता है, लेकिन फिर भी वे चिकित्सा देखभाल से जुड़ीं समस्याओं समेत कई परेशानियों का सामना करते हैं।
नॉटिंघम, आठ जनवरी (द कन्वरसेशन) कुत्ते हजारों वर्षों से मनुष्यों के साथ रहते आए हैं। वे शिकार, सुरक्षा और अन्य कई कामों में इस्तेमाल किए जाते रहे हैं, लेकिन आज वे मुख्य रूप से साथियों के रूप में हमारे जीवन का हिस्सा हैं। आज उनका जीवन पूर्वजों की तुलना में आसान लग सकता है, लेकिन फिर भी वे चिकित्सा देखभाल से जुड़ीं समस्याओं समेत कई परेशानियों का सामना करते हैं।
कुछ वर्ष पहले, फ्रांस में शोधकर्ताओं ने बताया कि किसी पशु चिकित्सक के सामने कुत्ते के मालिक के व्यवहार से कुत्ते के तनाव के स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है। अध्ययन से पता चला कि मालिक के नकारात्मक व्यवहार जैसे डांट-फटकार से पशु चिकित्सा जांच के दौरान कुत्ते का तनाव बढ़ जाता है।
क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट में हमारे हालिया अध्ययन से पहले किसी ने मालिकों के तनाव से उनके कुत्तों पर पड़ने वाले प्रभाव पर गौर नहीं किया था। हमारा अध्ययन क्वींस यूनिवर्सिटी के शोध से भिन्न है, क्योंकि इसमें विशेष रूप से मालिक के तनाव के प्रभाव के बारे में बताया गया है।
हमारे शोध में 28 मालिक और उनके कुत्ते शामिल हुए। शोध के दौरान मालिकों और कुत्तों दोनों ने हृदय गति मॉनीटर पहन रखे थे ताकि हम तनाव के स्तर को मापने के लिए उनकी हृदय गति परिवर्तनशीलता की निगरानी कर सकें और उसे रिकॉर्ड कर सकें।
इसके बाद हमने मालिकों से तनावपूर्ण व तनाव मुक्ति वाले काम कराए और उन पर तथा उनके कुत्तों पर पड़ने वाले इसके प्रभाव पर नजर रखी। तनावपूर्ण कार्यों में एक डिजिटल तनाव परीक्षण शामिल था, जिसमें मालिकों को एक मानसिक अंकगणितीय कार्य के साथ-साथ एक मौखिक प्रस्तुति कार्य भी करना था। तनाव से मुक्ति दिलाने वाला कार्य पांच मिनट का श्वास ध्यान वीडियो था।
हमने पाया कि जैसे-जैसे कुत्ते पशु चिकित्सालय के वातावरण के अभ्यस्त होते जाते हैं, उनकी हृदय गति धीमी होती जाती है। इससे पता चलता है कि पशुचिकित्सकों को कुत्तों की जांच करने से पहले उन्हें क्लिनिक में अभ्यस्त होने का समय देना चाहिए। इससे न केवल उनका तनाव कम होगा, बल्कि किसी भी जांच या परीक्षण की गुणवत्ता में भी सुधार हो सकता है, क्योंकि बढ़े हुए तनाव के परिणामस्वरूप हृदय और श्वसन दर बढ़ सकती है।
हमने यह भी पाया कि शोध से पहले और शोध के दौरान मालिक की हृदय गति में होने वाले परिवर्तन से उनके कुत्ते की हृदय गति में होने वाले परिवर्तनों का अनुमान लगाया जा सकता है। यदि शोध के दौरान मालिक की हृदय गति में वृद्धि या कमी हुई, तो उनके कुत्ते की हृदय गति में भी वृद्धि या कमी होने का अनुमान है।
इन परिणामों से पता चलता है कि कुत्ते अपने मालिकों की तनावपूर्ण स्थिति को पहचान सकते हैं, और “भावनात्मक संबंध” की प्रक्रिया के माध्यम से यह उनके अपने तनाव के स्तर को प्रभावित कर सकता है।
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