देश की खबरें | पंचमसाली जाति आरक्षण को लेकर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार का हलफनामा विधानसभा में पेश करेंगे: सिद्धरमैया
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बेलगावी (कर्नाटक), नौ दिसंबर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने पंचमसाली लिंगायत समुदाय की ज्यादा आरक्षण की मांग को समर्थन देने वाली विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को घेरते हुए सोमवार को विधानसभा को बताया कि वह इस मुद्दे पर पूर्ववर्ती सरकार (भाजपा) द्वारा उच्चतम न्यायालय में दिए गए हलफनामे को सदन के समक्ष रखेंगे।
मुख्यमंत्री का यह बयान वीरशैव-लिंगायत समुदाय के एक उपवर्ग पंचमसाली लिंगायत द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण प्रणाली की श्रेणी 2ए (15 प्रतिशत) में शामिल किए जाने की मांग को लेकर यहां विधान सौध के पास विरोध प्रदर्शन किए जाने की योजना से एक दिन पहले आया है। यह जाति वर्तमान में 3बी (पांच प्रतिशत) के अंतर्गत आती हैं।
भाजपा के वरिष्ठ विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने मुख्यमंत्री से पंचमसाली लिंगायत समुदाय की मांग पर ठोस निर्णय लेने का आग्रह किया था जिसकी प्रतिक्रिया में सिद्धरमैया ने ये बात कहीं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पंचमसाली लिंगायत समुदाय के लोग मांग कर रहे हैं कि उन्हें 2ए में शामिल किया जाए, मैंने कुडलसंगम पंचमसाली पीठ के संत वसव जया मृत्युंजय स्वामी और अन्य नेताओं के साथ दो बैठकें कीं और मैंने उन्हें स्पष्ट तौर पर बताया कि मैं उनकी आरक्षण मांगों का विरोध नहीं कर रहा हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमें किसी समुदाय को श्रेणी 2ए या एक के तहत नए सिरे से शामिल करना है तो स्थायी पिछड़ा वर्ग आयोग के समक्ष एक आवेदन दायर करना होगा।’’
सिद्धरमैया ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने पंचमसाली लिंगायत समुदाय को 2ए श्रेणी में शामिल नहीं किया था, ‘‘इसके बजाय उसने मुसलमानों को दिए गए चार प्रतिशत आरक्षण को रद्द कर दिया और उसमें से दो प्रतिशत 3बी के अंतर्गत आने वाले समुदायों को और दो प्रतिशत 3ए समुदायों को दे दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब मुसलमानों ने इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील की, तो पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा था कि वे मुसलमानों को दिए गए चार प्रतिशत आरक्षण को वापस नहीं लेंगे और यथास्थिति बनाए रखेंगे।’’
कुछ विधायकों द्वारा बयान देने के बजाय वास्तविक तथ्य पेश किए जाने की मांग पर सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘यह मेरा निजी बयान नहीं है, मैं परसों सदन के समक्ष उच्चतम न्यायालय का आदेश रखूंगा।’’
इस बीच, कर्नाटक के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री के.एच. मुनियप्पा ने सोमवार को विधान परिषद में कहा कि गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) राशन कार्ड वाले कम से कम 20 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) श्रेणी में होने चाहिए।
उन्होंने विधान परिषद में जनता दल (सेक्युलर) के विधान पार्षद के.ए. थिपेस्वामी द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘मैं स्वीकार करता हूं कि बीपीएल श्रेणी में कई एपीएल परिवार हैं। वे कम से कम 20 प्रतिशत हैं। मैंने उन्हें श्रेणी से बाहर निकालने की कोशिश की जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हुई।’’
इसके अलावा, विधान परिषद में एच.एस. गोपीनाथ द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कर्नाटक के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडू राव ने सोमवार को कहा कि राज्य के किसी भी सरकारी अस्पताल में आवश्यक दवाओं की कोई कमी नहीं है।
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