देश की खबरें | जलदाय मंत्री जोशी ने मंत्रियों के अधिकार को लेकर मंत्री प्रताप सिंह के बयान पर आपत्ति जताई
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जयपुर, चार नवंबर जलदाय मंत्री महेश जोशी ने शुक्रवार को मंत्रियों के अधिकारों को लेकर साथ मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के बयान पर आपत्ति जताई है।
इसके तुरंत बाद खाचरियावास ने कहा कि यदि उनके शब्दों से मंत्री आहत हुये हैं, तो वह अपना बयान वापस लेते हैं। उन्होंने कहा कि जोशी के साथ उनके मधुर संबंध हैं।
खाचरियावास ने बुधवार को अपने विभाग के अधिकारियों के कामकाज पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि आईएएस अधिकारियों की गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) मुख्यमंत्री के बजाय मंत्रियों से भरी जानी चाहिए।
खाचरियावास के बयान के बारे में पूछे जाने पर जोशी ने संवाददाताओं से कहा कि उनके पास अपने विभाग में सभी अधिकार हैं।
जोशी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए खाचरियावास ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा था कि जोशी एक शक्तिशाली मंत्री हो सकते हैं, लेकिन उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह अपने विभाग के आईएएस अधिकारियों की एसीआर वह भर रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर (जोशी) ने गुलामी का ठेका ले रखा है तो इसे जारी रखना चाहिए।
जोशी ने इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए शुक्रवार को अपने आवास पर संवाददाता सम्मेलन किया और कहा कि 'गुलामी' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि 'वह तो वास्तव में कांग्रेस पार्टी के और अच्छे गुणों के गुलाम हैं।'
उन्होंने कहा कि “सिर्फ असहमति के कारण किसी को गुलाम कहना उचित नहीं है। अगर गुलामी की बात है तो मैं कांग्रेस पार्टी का गुलाम हूं। मेरा आचरण और व्यवहार सभी के साथ अच्छा है, मैं ऐसे सभी अच्छे गुणों का गुलाम हूं।’’
जोशी ने कहा कि बुधवार को पत्रकारों के एक समूह ने जब उनसे बात की थी तो उन्होंने काम के बारे में सामान्य बातें कही और एसीआर भरने के मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी (जिसकी ओर खचरियावास ने इशारा किया था)।
उन्होंने कहा कि खाचरियावास के लिए इस तरह की प्रतिक्रिया देने का कोई मतलब नहीं था, क्योंकि उन्होंने कुछ भी अपमानजनक नहीं कहा। जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री सभी मंत्रियों के साथ समान व्यवहार करते हैं और अगर कोई मुद्दा है तो उसे मीडिया में ले जाने के बजाय बात करके सुलझाया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि 25 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बुलाई गई थी। इसे कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से पहले राज्य मुख्यमंत्री को बदलने की कवायद के रूप में देखा गया, क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था।
हालांकि, सीएलपी की बैठक नहीं हो सकी क्योंकि गहलोत के वफादार विधायकों ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान अशोक गहलोत सरकार का समर्थन किया था। तब पायलट और 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी।
इसके बाद कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति ने मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी तथा पार्टी के नेता धर्मेंद्र राठौड़ को उनकी ‘‘घोर अनुशासनहीनता’’ के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनसे 10 दिन के भीतर यह बताने के लिए कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए।
कुंज पृथ्वी
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