सीमा विवाद सुलझाने के उपाय के तहत असम का हिस्सा बनने से खुश नहीं हैं अरुणाचल के ग्रामीण

असम के साथ दशकों से जारी सीमा विवाद को सुलझाने के एक प्रस्ताव के तहत अरुणाचल प्रदेश के लोअर सियांग जिले का एक गांव अपने इस पड़ोसी राज्य का हिस्सा बन गया, लेकिन इस कवायद से ग्रामीण बिल्कुल भी खुश नहीं हैं।

ईटानगर, 11 सितंबर:  असम के साथ दशकों से जारी सीमा विवाद को सुलझाने के एक प्रस्ताव के तहत अरुणाचल प्रदेश के लोअर सियांग जिले का एक गांव अपने इस पड़ोसी राज्य का हिस्सा बन गया, लेकिन इस कवायद से ग्रामीण बिल्कुल भी खुश नहीं हैं. कंग्कू क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दुर्पाई गांव के लोग अरुणाचल प्रदेश में ही रहना चाहते हैं और उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वे प्रदर्शन करेंगे.

दुर्पाई ग्रामीण विकास समिति (डीवीडीसी) के बैनर तले ग्रामीणों ने तत्काल इसमें सुधार करने और दुर्पाई को पूर्ववत रखने की मांग की है. प्रस्ताव को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें कुछ अधिकारियों से इसकी जानकारी मिली है. असम और अरुणाचल प्रदेश सरकार ने इस साल 20 अप्रैल को नयी दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे, ताकि सीमा विवाद को सुलझाया जा सके. अंतर-राज्यीय सीमा विवाद के बाद मामले पर गौर करने के लिए क्षेत्रीय समितियों का गठन किया गया था.              यह भी पढ़े: असम, मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने सीमा विवाद पर की चर्चा 

डीवीडीसी अध्यक्ष रेली केना ने कहा, ''समझौता ज्ञापन के मुताबिक, दुर्पाई को इस तरह से दूसरे गांव के साथ मिलाया गया है कि वह खुद-ब-खुद असम में आ जाएगा.'' उन्होंने दावा किया कि ग्रामीणों को अलग-अलग वर्ग से आश्वासन मिला है कि उनका गांव अरुणाचल प्रदेश में बना रहेगा. केना ने कहा, ''लेकिन अब लगता है कि प्रत्येक आश्वासन सिर्फ एक छलावा था. राज्य सरकार को यह पता होना चाहिए कि इस तरह की कवायद इलाके में सिर्फ विवाद पैदा करेगी. दुर्पाई इलाके के दो मालिक कैसे हो सकते हैं? दुर्पाई में बना एक-एक ढांचा अरुणाचल प्रदेश सरकार द्वारा निर्मित है.''

उन्होंने कहा कि दुर्पाई के स्थानीय लोग ही जमीन के असली मालिक हैं और वे असम में नहीं जाएंगे. केना ने कहा, ''अगर हमारी समस्या का हल नहीं किया गया तो ग्रामीण अपने खून से पत्र लिखकर मुख्यमंत्री को भेजेंगे, लेकिन दुर्पाई को असम का हिस्सा नहीं बनने देंगे.'' असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा और उनके अरुणाचल प्रदेश समकक्ष पेमा खांडू ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे. दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सीमा विवाद समाप्त करने के लिए पिछले साल 15 जुलाई को भी एक समझौता पर हस्ताक्षर किया था और विवादित गांवों की संख्या 123 से घटाकर 86 करने का फैसला किया था। इसे नामसई घोषणापत्र के नाम से जाना जाता है. असम और अरूणाचल 804.1 किमी लंबी सीमा साझा करते हैं.

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