देश की खबरें | उप्र : दृष्टि बाधित लोगों की जिंदगी आसान बनाएगा एआई युक्त चश्मा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. प्रतिभावान लोगों को कोई सीमा आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती और यह साबित किया है यहां के 28 वर्षीय मुनीर खान ने जिन्होंने अपने तकनीकी कौशल और नवप्रवर्तन से लोगों का दिल जीत लिया है।
लखीमपुर खीरी (उप्र), तीन दिसंबर प्रतिभावान लोगों को कोई सीमा आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती और यह साबित किया है यहां के 28 वर्षीय मुनीर खान ने जिन्होंने अपने तकनीकी कौशल और नवप्रवर्तन से लोगों का दिल जीत लिया है।
खीरी के एक छोटे कस्बे गौरिया में जन्मे मुनीर खान ने दृष्टि बाधित लोगों की मदद के लिए हाल ही में एआई युक्त चश्मा इजाद किया है जिसे एआई-विजन प्रो के नाम से जाना जाता है।
खान का कहना है कि उनके सभी नवाचार ने आम लोगों की रोजाना की जिंदगी को आसान बनाया है। चाहे वह कोलंबिया यूनिवर्सिटी में विकसित हाइड्रोहोमी नाम का स्मार्ट वाटर बॉटल हो जो शरीर में पानी का स्तर पता लगाकर तत्काल पानी पीने का सुझाव देता है या मिट्टी की जांच वाला स्मार्ट डिवाइस जिससे किसानों को मिनटों में अपनी मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की पहचान करने में मदद मिली।
उनके स्मार्ट वाटर बॉटल को कोलंबिया यूनिवर्सिटी द्वारा सर्वोत्तम प्रोजेक्ट का अवार्ड दिया गया। मिट्टी की जांच करने वाले उनके स्मार्ट डिवाइस के लिए जुलाई में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उन्हें “यंग साइंटिस्ट अवार्ड” से सम्मानित किया।
अब मुनीर ने दृष्टि बाधित लोगों की मदद के लिए एआई युक्त चश्मा विकसित किया है जिसे एआई-विजन प्रो का नाम दिया गया है।
मुनीर ने अमेरिका से फोन पर पीटीआई को बताया, “दृष्टि बाधित लोगों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त चश्मे 17 से 19 दिसंबर तक आईआईटी, मुंबई में आयोजित टेकफेस्ट में लोगों को दिए जाएंगे।”
उन्होंने कहा, “इन चश्मों से लोगों को दिन प्रतिदिन के जीवन में सहूलियत मिलेगी। सेंसर्स, कैमरे, एनविडिया जेटसन प्रोसेसर्स, लिडार टेक्नोलॉजी और एआई मॉडल कंप्यूटेशन से एकीकृत विजनप्रो चश्मे आसपास के वातावरण की सटीक अनुभूति प्रदान करेंगे।”
उन्होने बताया, “चश्मा पहनने पर एआई युक्त ग्लास से चेहरे की पहचान में मदद मिलेगी और लोग दवाओं और खाने पीने की वस्तुओं में भेद कर सकेंगे। साथ ही वे चलते फिरते समय अड़चनों को पहचान सकेंगे। इसके अलावा, छपी हुई सामग्री को वे पढ़कर उसका अर्थ समझ सकेंगे।”
मुनीर ने कहा कि आईआईटी बांबे में एशिया के सबसे बड़े टेकफेस्ट के दौरान पहली बार लोगों के सामने इस अनूठे चश्मे का अनावरण करने की घोषणा करते हुए आयोजक रोमांचित हो गए।
खीरी के गौरिया गांव में एक गरीब परिवार में जन्मे मुनीर जब महज एक साल के थे, तभी उनके सिर से पिता का साया उठ गया। उनके चार भाइयों और मां ने उनकी पढ़ाई के लिए बहुत मेहनत की।
अपने गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल से अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद मुनीर ने एक प्राइवेट इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की और अपनी प्रतिभा के बल पर उन्होंने भीमताल स्थित बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लायड साइंसेज़ में दाखिला लिया। बाद में फेलोशिप मिलने पर उन्होंने फ्रांस और रूस में इंटर्नशिप की जिससे एआई और सेंसर टेक्नोलॉजी में उनकी रुचि पैदा हुई।
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