मुंबई, 16 जून महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं ने कर्नाटक सरकार द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों में किये गये संशोधन को शुक्रवार को अल्पसंख्यक तुष्टिकरण बताया और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा।
गौरतलब है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक के बी हेडगेवार और हिंदुत्व विचारक वी. डी. सावरकर से जुड़े अध्यायों सहित कई अन्य अध्यायों को हटाकर मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिए राज्य में कक्षा छह से दसवीं तक की कन्नड़ और सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों के पुनरीक्षण को मंजूरी दे दी है।
महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) महा विकास आघाड़ी गठबंधन का हिस्सा हैं। भाजपा अक्सर अपने पूर्व सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) पर हिंदुत्व की विचारधारा से दूर होने का आरोप लगाती रही है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पत्रकारों से कहा कि दक्षिणी राज्य में कांग्रेस की सत्ता में वापसी के बाद कर्नाटक में स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में संशोधन की पहले से ही उम्मीद थी।
उन्होंने आगे कहा, ‘‘कांग्रेस सावरकर और हेडगेवार को पाठ्यपुस्तकों से हटा सकती है, लेकिन लोगों के दिल और दिमाग से नहीं। महाराष्ट्र में विपक्ष कर्नाटक मॉडल को दोहराना चाहता है। मैं उद्धव ठाकरे से पूछना चाहता हूं कि इस मुद्दे पर उनका क्या रुख है।’’
फडणवीस ने कहा, यह स्पष्ट है कि ठाकरे ने सत्ता के लिए अपनी विचारधारा से समझौता किया है।
नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए, फडणवीस के पार्टी सहयोगी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि ठाकरे को पाठ्यपुस्तक के मुद्दे के साथ-साथ पिछली सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करने के कर्नाटक सरकार के फैसले पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
पाठ्यपुस्तकों से सावरकर और हेडगेवार से जुड़े अध्याय को हटाने के बाद कर्नाटक सरकार समाज सुधारक और शिक्षिका सावित्रीबाई फुले, इंदिरा गांधी को लिखे गये जवाहरलाल नेहरू के पत्र और डॉ. बी आर आंबेडकर पर आधारित कविता को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने की योजना बना रही है।
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