जरुरी जानकारी | ‘कर्ज के ऊपर कर्ज’ में वृद्धि का रुझान सिर्फ कुछ बैंकों तक सीमित : दास

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मुंबई, आठ अगस्त भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि कर्ज के ऊपर लिए जाने वाले कर्ज (टॉप-अप) में बढ़ोतरी का 'रुझान' व्यवस्थागत मसला न होकर कुछ बैंकों तक ही सीमित है।

दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा के बाद संवाददाताओं से कहा, “टॉप-अप कर्ज में नियामकीय प्रावधानों का पालन नहीं करने वाले बैंकों के साथ आरबीआई द्विपक्षीय स्तर पर निपटेगा और यह कोई व्यवस्थागत समस्या नहीं है।”

टॉप-अप कर्ज खुदरा कर्ज के साथ आवास ऋण के ऊपर लिया जाने वाला कर्ज है।

दास ने इससे पहले दिन में कहा था कि आवास इक्विटी कर्ज या टॉप-अप ऋण में उच्च वृद्धि हुई है, जिसमें ऋणदाता स्वर्ण ऋण और आवास ऋण जैसे अन्य गारंटी वाले कर्ज पर टॉप-अप ऋण की पेशकश कर रहे हैं।

दास ने कहा कि ऋण-से-मूल्य (एलटीवी) अनुपात, जोखिम भार और निधियों के अंतिम उपयोग की निगरानी से संबंधित नियामकीय निर्देशों का कुछ संस्थाओं द्वारा कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है।

गवर्नर ने कहा, “यह प्रणालीगत समस्या नहीं है। कुछ संस्थाओं में हमने यह समस्या देखी है। हम पर्यवेक्षण स्तर पर द्विपक्षीय रूप से उनसे निपटेंगे, लेकिन कोई प्रणालीगत समस्या नहीं है।”

उन्होंने कहा कि चूंकि आरबीआई ने इस ‘प्रवृत्ति’ को देखा, इसलिए उसने बैंकों को यह संदेश देकर इस मुद्दे को उठाने के बारे में सोचा कि वे धन के अंतिम उपयोग की निगरानी करके तथा विवेकपूर्ण मानदंडों का पालन सुनिश्चित करके इस समस्या का प्रबंधन करने में सक्रिय भूमिका निभाएं।

दास ने कहा, “इस तरह की प्रक्रियाओं के कारण कर्ज राशि का उपयोग गैर-उत्पादक क्षेत्रों में या सट्टेबाजी के उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। इसलिए, बैंकों और एनबीएफसी को ऐसी प्रक्रियाओं की समीक्षा करने और सुधारात्मक कार्रवाई करने की सलाह दी जाती है।”

उन्होंने कहा, “बैंकों को ऋण-से-मूल्य (एलटीवी) अनुपात, जोखिम भार और टॉप-अप के संबंध में धन के अंतिम उपयोग की निगरानी से संबंधित नियामकीय निर्देशों का पालन करना चाहिए।”

पिछले सप्ताह कई क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) और सहकारी बैंकों में भुगतान सेवाओं में आए व्यवधान के बारे में दास ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने किसी भी संभावित प्रणालीगत समस्या को रोकने के लिए आगे के लेनदेन को रोकने का निर्णय लिया है।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और प्रौद्योगिकी कंपनी टीसीएस के संयुक्त उद्यम सी-एज का नाम लिए बिना डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने कहा कि तीसरे पक्ष की प्रणालियां प्रभावित हुई हैं और चूंकि जोखिम अन्य प्रणालियों तक पहुंचने की संभावना थी, इसलिए सक्रिय उपाय के रूप में उन्हें बंद करने का निर्णय लिया गया।

दास ने कहा कि ऋण और जमा वृद्धि के बीच अंतर से परिसंपत्ति देयता में असंतुलन या तरलता प्रबंधन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

उन्होंने कहा कि इससे बैंकिंग प्रणाली को संरचनात्मक तरलता संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

गवर्नर ने बैंकों से आग्रह किया कि वे अपने विशाल शाखा नेटवर्क का लाभ उठाकर नवोन्मेषक उत्पादों और सेवाओं के माध्यम से जमा जुटाएं। मुद्रास्फीति के बारे में दास ने कहा कि इसमें कमी आ रही है, लेकिन इसकी गति असमान और धीमी है।

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