COVID-19: तीसरी लहर की वजह से एयरलाइंस को 2021-22 में हो सकता है 20,000 करोड़ रुपये का घाटा- रिपोर्ट

रिपोर्ट कहती है कि महामारी की तीसरी लहर के कारण जनवरी के पहले सप्ताह में घरेलू हवाई यातायात में 25 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है. अप्रैल-मई, 2021 में दूसरी लहर के दौरान भी इसी तरह की प्रवृत्ति देखी गई थी. तब हवाई यातायात तिमाही आधार पर 66 प्रतिशत तक घट गया था.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo credit: Wikimedia Commons)

मुंबई: कोरोना वायरस (Coronavirus) की तीसरी लहर (Third Wave) और विमान ईंधन (ATF) की कीमतों में वृद्धि से एयरलाइन कंपनियों (Airline Companies) का घाटा चालू वित्त वर्ष में बढ़कर रिकॉर्ड 20,000 करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है. एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है. क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार, विमानन कंपनियां इस वित्त वर्ष 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के अपने अब तक के सबसे बड़े शुद्ध घाटे की ओर बढ़ रही हैं. यह घाटा पिछले वित्त वर्ष में 13,853 करोड़ रुपये के घाटे से 44 प्रतिशत अधिक होगा. COVID-19 Update: भारत में कोरोना के बीते 24 घंटे में 2 लाख 58 हजार नए मामले, 385 मरीजों की मौत

घरेलू उड़ानों में कुल मिलाकर 75 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली इंडिगो, स्पाइसजेट और एयर इंडिया पर आधारित रिपोर्ट में चेताया गया है कि इस घाटे से एयरलाइन कंपनियों का पुनरुद्धार वित्त वर्ष 2022-23 तक टल जाएगा.

रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बाद हवाई यातायात में तेजी से सुधार हुआ था. दिसंबर, 2019 की तुलना में दिसंबर, 2021 में हवाई यातायात का स्तर कोरोना से पूर्व स्तर के 86 प्रतिशत तक पहुंच गया था.

रिपोर्ट कहती है कि महामारी की तीसरी लहर के कारण जनवरी के पहले सप्ताह में घरेलू हवाई यातायात में 25 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है. अप्रैल-मई, 2021 में दूसरी लहर के दौरान भी इसी तरह की प्रवृत्ति देखी गई थी. तब हवाई यातायात तिमाही आधार पर 66 प्रतिशत तक घट गया था.

एजेंसी के निदेशक नितेश जैन के अनुसार, तीन बड़ी एयरलाइन कंपनियों को चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पहले ही 11,323 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हो चुका है.

उन्होंने कहा कि घरेलू हवाई यातायात में तेज उछाल ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में घाटे को कम कर किया था. हालांकि कोरोना की तीसरी लहर के कारण यात्रा संबंधी प्रतिबंधों से चौथी तिमाही में शुद्ध घाटा काफी बढ़ जाएगा.

यात्रा में कमी के आलावा ईंधन के दामों में तेजी से भी कंपनियों के लाभ पर काफी प्रभाव पड़ा है. ईंधन पर विमानन कंपनियों के परिचालन का एक-तिहाई खर्च होता है. नवंबर, 2021 में एटीएफ का दाम 83 रुपये प्रति लीटर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था. यह वित्त वर्ष 2020-21 के औसत दाम 44 रुपये प्रति लीटर से कहीं अधिक है.

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