देश की खबरें | समग्र शिक्षा योजना के तहत विशेष जरूरतों वाले बच्चों की शिक्षा के लिए एक विशेष व्यवस्था है:केंद्र ने न्यायालय से कहा

नयी दिल्ली, चार अगस्त केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि समग्र शिक्षा योजना के तहत विशेष जरूरतों वाले बच्चों की शिक्षा के लिए एक विशेष व्यवस्था है और सामान्य स्कूलों में उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।

शीर्ष न्यायालय में दाखिल अतिरिक्त हलफनामा में केंद्र ने कहा कि विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिए कई प्रावधान समग्र शिक्षा योजना में शामिल किये गये हैं और सहायता राशि सालाना 3,000 रुपया प्रति बच्चा से बढ़ा कर 3,500 रुपया कर दी गई है।

इसमें कहा गया है कि शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक देश में 22.5 लाख बच्चे विशेष जरूरतों वाले हैं।

शिक्षा मंत्रालय के एक अवर सचिव द्वारा दाखिल हलफनामा में कहा गया है, ‘‘शिक्षकों के संदर्भ में, उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 4.33 लाख सामान्य शिक्षकों को सामान्य बच्चों का शिक्षण करने के अतिरिक्त विशेष जरूरतों वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। विशेष जरूरतों वाले बच्चों के लिए 28,535 विशेष शिक्षक भी हैं। ’’

यह विषय बुधवार को न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया। पीठ ने कहा कि वह योजना की पड़ताल करेगी और उसे न्यायालय के समक्ष रखा जाए।

न्यायालय ने केंद्र की ओर से पेश हुए वकील से कहा कि वह सुनवाई की अगली तारीख 11 अगस्त से पहले योजना को पीठ को सौंपे।

पीठ ने कहा कि यदि यह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है तो विषय में याचिकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता सोएब आलम भी उसकी प्रति पीठ को सौंप सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि पीठ अशक्त बच्चों के लिए उपयुक्त रूप से योग्य विशेष शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित करने में संबद्ध राज्य सरकार सहित स्कूलों के दायित्व के बारे में मुद्दे उठाने वाले एक विषय पर सुनवाई कर रही है।

हलफनामा में कहा गया है कि योजना के तहत विशेष शिक्षकों को प्रखंड(ब्लॉक) या क्लस्टर स्तर पर या जरूरत के मुताबिक नियुक्त किया जा सकता है।

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