जरुरी जानकारी | बीते सप्ताह खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में सुधार का रुख
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. विदेशों में खाद्य तेलों की कीमतों में मजबूती के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह खाद्य तेलों के भाव में चौतरफा सुधार दर्ज हुआ। समीक्षाधीन सप्ताह में पिछले सप्ताहांत के मुकाबले सरसों, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतों में मजबूती देखने को मिली।
नयी दिल्ली, 23 जुलाई विदेशों में खाद्य तेलों की कीमतों में मजबूती के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह खाद्य तेलों के भाव में चौतरफा सुधार दर्ज हुआ। समीक्षाधीन सप्ताह में पिछले सप्ताहांत के मुकाबले सरसों, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतों में मजबूती देखने को मिली।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन डीगम तेल का भाव अपने पिछले सप्ताह के 1,040-1,050 डॉलर से बढ़कर 1,115-1,125 डॉलर प्रति टन तथा सूरजमुखी तेल का भाव अपने पिछले पिछले सप्ताह के 960 डॉलर टन से बढ़कर समीक्षाधीन सप्ताह में 1,040-1,050 डॉलर प्रति टन हो गया। इस बढ़ोतरी का स्थानीय तेल-तिलहन कारोबार पर असर हुआ। इसकी मुख्य वजह कालासागर के रास्ते खाद्य तेल परिवहन करने के संबंध में रूस के साथ यूक्रेन की संधि 18 जुलाई से खत्म होना या उसका विस्तार न हो पाना है। वैसे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के दाम पिछले वर्ष के क्रमश: 2,200 डॉलर और 2,500 डॉलर की उच्च कीमत से अभी कम ही हैं।
सूत्रों ने कहा कि एक बात ध्यान में रखनी होगी कि मौजूदा सुधार के बावजूद आयातित अपेक्षाकृत सस्ते खाद्य तेलों के कारण सरसों और सूरजमुखी दाने का बाजार भाव अपने अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे चल रहा है। देश में तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाना समय की मांग है क्योंकि इस अहम वस्तु के लिए विदेशों पर निर्भरता कहीं से उचित नहीं है। दूसरा तेल-तिलहन कृषि की बाकी गतिविधियों मसलन कपड़ा उद्योग के लिए अहम है। साथ ही कपास से निकलने वाले तिलहन, बिनौला से मिलने वाले खल से मवेशियों के लिए सबसे अधिक खल मिलता है। यानी डेयरी और मुर्गीपालन (डीआयल्ड केक यानी डीओसी- जिसका उपयोग मुर्गीदाने के रूप में होता है) भी तेल-तिलहन की खेती से जुड़ा है।
सूत्रों ने कहा कि इस बार कपास खेती का रकबा बढ़ना चाहिये था लेकिन यह बढ़ा नहीं है जो चिंता का विषय है। सस्ते आयातित खाद्य तेलों ने इस बार बाजार में ऐसी हड़कंप मचाया है कि किसानों के सरसों, सूरजमुखी तिलहन सस्ते आयातित तेलों की भरमार के कारण खपे नहीं और किसानों की उपज का अधिकांश हिस्सा उनके पास बचा हुआ है। यह तेल-तिलहन उद्योग के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि इससे किसान काफी हतोत्साहित हैं। यह भविष्य के लिए कोई अच्छा संकेत नहीं है। कहीं बाकी तिलहनों का वही हाल न हो जो सूरजमुखी के साथ हुआ। पिछले साल सूरजमुखी का दाम काफी अधिक होने के बावजूद किसानों ने सूरजमुखी का रुख नहीं किया क्योंकि खाद्य तेल के संबंध में नीतियों की अस्पष्टता किसानों के अंदर भरोसा पैदा नहीं कर पाई।
कपास खेती के रकबे में भी कमी दिख रही है और देश के कुछ कपड़ा संघों ने इसपर आयात शुल्क हटाने की मांग की है। इसके वायदा कारोबार को देखें, तो बिजाई के समय खल और रुई के दाम घटाये जाते हैं ताकि देश को आयात पर निर्भर बनाया जा सके। किसान और तेल मिलें वायदा कारोबार में ‘हेजिंग’ नहीं करतीं। इस बात की जांच होनी चाहिये कि कौन लोग वायदा कारोबार को सट्टेबाजी के मंच के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। जब वर्ष 2000 से पहले वायदा कारोबार नहीं था तो बाजार की गतिविधियां सामान्य होती थीं और मौजूदा दिनों में हर कुछ मिनट में कीमतों में घट-बढ़ होने लगती है।
सूत्रों ने कहा कि खानपान की किसी भी वस्तु के वायदा कारोबार को बंद किया जाना चाहिये ‘यह खासकर तेल-तिलहन कारोबार के लिए ‘दीमक’ के समान है।’
पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 150 रुपये सुधरकर 5,525-5,575 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 350 रुपये सुधरकर 10,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव 40-40 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 1,785-1,865 रुपये और 1,785-1,895 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव 55-55 रुपये सुधार के साथ क्रमश: 5,000-5,095 रुपये प्रति क्विंटल और 4,765-4,860 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल के भाव भी क्रमश: 450 रुपये, 420 रुपये और 430 रुपये बढ़कर क्रमश: 10,500 रुपये, 10,300 रुपये और 8,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
निर्यात मांग की वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड के भाव क्रमश: 350 रुपये, 620 रुपये और 100 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 7,425-7,475 रुपये, 18,000 रुपये और 2,610-2,885 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशों में दाम में आये सुधार के कारण कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 300 रुपये सुधरकर 8,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 250 रुपये बढ़कर 9,700 रुपये प्रति क्विंटल और पामोलीन एक्स कांडला का भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में 270 रुपये सुधरकर 8,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
बिनौला तेल समीक्षाधीन सप्ताह में 250 रुपये सुधरकर 9,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
राजेश
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