देश की खबरें | न्यायालय ने उच्च न्यायालयों के कुछ न्यायाधीशों को मिल रही पेंशन को बताया ‘‘दयनीय’’
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को 10 से 15 हजार रुपये तक की मामूली पेंशन दिए जाने पर बुधवार को अफसोस जताते हुए इसे "दयनीय" स्थिति बताया।
नयी दिल्ली, 18 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को 10 से 15 हजार रुपये तक की मामूली पेंशन दिए जाने पर बुधवार को अफसोस जताते हुए इसे "दयनीय" स्थिति बताया।
न्यायालय ने प्राधिकारियों से कहा कि वे "कानूनी दृष्टिकोण" अपनाने के बजाय "मानवीय दृष्टिकोण" अपनाएं। न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को देय अलग-अलग पेंशन के मुद्दे से जुड़ीं याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
इसका एक प्रमुख कारण यह है कि जिला न्यायलय से पदोन्नति पाकर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने वाले नयी पेंशन योजना के अंतर्गत आते हैं जबकि, जो लोग बार से उच्च न्यायालय में पदोन्नत हुए हैं, वे पुरानी पेंशन योजना के लाभार्थी है, जिसके कारण उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों को देय पेंशन में असंतुलन पैदा हो गया।
न्यायालय ने बुधवार को कहा, "आप हर मामले में कानूनी दृष्टिकोण नहीं अपना सकते। कभी-कभी आपको मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत होती है।"
उच्च न्यायालय के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को 10,000 से 15,000 रुपये के बीच पेंशन मिलने की बात पर गौर करते हुए पीठ ने कहा, "यह दयनीय है।"
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और अनुरोध किया कि इस पर जनवरी में सुनवाई की जाए।
वेंकटरमणी ने कहा कि सरकार इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करेगी।
पीठ ने कहा, "आप उन्हें (सरकार को) समझाएं कि (इस मामले में) हमारे हस्तक्षेप से बचा जाए तो बेहतर है।"
पीठ ने कहा कि मामले का फैसला व्यक्तिगत मामलों के आधार पर नहीं किया जाएगा और शीर्ष अदालत जो भी आदेश देगी, वह सभी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर लागू होगा।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ जनवरी की तारीख तय की।
मार्च में एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा था कि उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के पेंशन लाभ की गणना में इस आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वे बार या जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि जिला अदालत से पदोन्नत हुए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के पेंशन लाभों की गणना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनके अंतिम वेतन के आधार पर की जानी चाहिए।
नवंबर में इस मामले में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने इस बात पर हैरानी जताई थी कि उच्च न्यायालय के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को 6,000 से 15,000 रुपये के बीच मामूली पेंशन मिल रही है।
पीठ उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। न्यायाधीश ने कहा था कि उन्हें 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है।
याचिकाकर्ता, जिला अदालत में 13 साल तक न्यायिक अधिकारी के रूप में सेवा देने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किये गए थे। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने पेंशन की गणना करते समय उनकी न्यायिक सेवा पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
पीठ ने कहा था, ‘‘हमारे सामने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं, जिन्हें 6,000 रुपये और 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है, जो चौंकाने वाला है। ऐसा कैसे हो सकता है?’’
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