देश की खबरें | अदालत का सांप्रदायिक हिंसा के दौरान पुलिसकर्मी पर पिस्तौल तानने वाले आरोपी को जमानत देने से इंकार

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने फरवरी में सांप्रदायिक दंगे के दौरान एक हेड कांस्टेबल पर कथित रूप से पिस्तौल तान देने वाले एक आरोपी को बुधवार को जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि उसकी मंशा हीरो बनने की थी और उसे कानून का सामना करना होगा।

नयी दिल्ली, 24 जून दिल्ली उच्च न्यायालय ने फरवरी में सांप्रदायिक दंगे के दौरान एक हेड कांस्टेबल पर कथित रूप से पिस्तौल तान देने वाले एक आरोपी को बुधवार को जमानत देने से इनकार कर दिया और कहा कि उसकी मंशा हीरो बनने की थी और उसे कानून का सामना करना होगा।

न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने कहा कि आरोपी शाहरूख पठान को राहत देने पक्ष में नहीं है। इसके बाद आरोपी के वकील ने जमानत की अर्जी वापस ले ली।

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अदालत ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए कहा कि यह अर्जी वापस लिये जाने के रूप में खारिज की जाती है ।

अदालत ने कहा, ‘‘ यदि आप कानून हाथ में लेते हैं और हीरो बनते हैं तो आपको कानून का सामना करना पड़ेगा। आपकी मंशा हीरो बनने की थी।’’

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पठान ने यह कहते हुए जमानत का अनुरोध किया कि उसे 76 वर्षीय अपने पिता की देखभाल करनी है, जो अस्वस्थ हैं तथा यह कि उनकी देखभाल के लिए परिवार में और कोई नहीं है।

आरोपी के वकील असर खान ने कहा कि उनका मुवक्किल 113 दिनों से न्यायिक हिरासत में है और उसकी साफ पृष्ठभूमि भी रही है तथा जब आरोपपत्र दायर किया जा चुका है तो अब जांच के लिए उसकी जरूरत नहीं है। खान ने कहा कि जिस तरह जामिया विद्यार्थी सफूरा जरगर को मानवीय आधार पर अदालत ने जमानत दी है, उसी तरह पठान की अर्जी पर भी गौर किया जाए।

अतिरिक्त सरकारी वकील अमित चड्ढा ने यह कहते हुए उसकी अर्जी का विरोध किया कि पुलिस को दो और सीसीटीवी फुटेज मिले हैं जिसमें वह पिस्तौल से फायरिंग करता हुआ नजर आ रहा है और पूरे देश ने जो कुछ देखा, उसके लिए पर्याप्त सबूत है।

पठान को उत्तर प्रदेश के शामली से तीन मार्च को गिरफ्तार किया गया था। वह फिलहाल यहां जेल में है। दंगे के दौरान दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल दीपक दहिया पर उसने जो पिस्तौल तानी थी, उसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर फैल गया था। पठान दिल्ली के घोंडा का निवासी है।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को सांप्रदायिक संघर्ष फैल गया था और उसमें 53 लोगों की जान चली गयी थी। संशोधित नागरिकता कानून के समर्थक और विरोधी आपस में भिड़ गये थे।

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