देश की खबरें | संविधान द्वारा प्रदत्त मानवीय अधिकारों के प्रहरी हैं न्यायालय: राज्यपाल मिश्र

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने शनिवार को कहा कि देश के न्यायालय संविधान द्वारा प्रदान किए गए मानवीय अधिकारों के प्रहरी हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका न्याय के सभी सिद्धांतों को लागू करते हुए अपना कार्य करती है, इसलिए न्यायपालिका में आज भी आम जन का विश्वास कायम है।

जयपुर, 21 मई राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने शनिवार को कहा कि देश के न्यायालय संविधान द्वारा प्रदान किए गए मानवीय अधिकारों के प्रहरी हैं। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका न्याय के सभी सिद्धांतों को लागू करते हुए अपना कार्य करती है, इसलिए न्यायपालिका में आज भी आम जन का विश्वास कायम है।

राज्यपाल मिश्र शनिवार को यहां ‘विधि, समाज और लोक विमर्श’ विषयक कार्यक्रम में सम्बोधित रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका ने लोकतंत्र से जुड़े मुद्दों और संकट पर सदा ही आगे बढ़कर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

राज्यपाल ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना ‘हम भारत के लोग’ शब्द स्वयमेव भारतीय लोकतंत्र की जीवंतता की अनुभूति कराने वाला है। उन्होंने कहा कि संविधान में लोगों को मूलभूत अधिकार प्रदान किए गए हैं, तो उनके कर्तव्य भी निर्धारित किए गए हैं।

मिश्र ने कहा कि सामाजिक न्याय से संबंधित कानून बनाने में हमारा देश विश्व भर में सबसे आगे है। उन्होंने कहा कि कानून बनाने के साथ समाज में ऐसा वातावरण बनाया जाना भी जरूरी है, जिससे भेदभाव और छुआछूत जैसी कुरीतियों व आर्थिक असमानता को पूरी तरह मिटाया जा सके।

उन्होंने अपने संबोधन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद दर्शन का उल्लेख करते हुए कहा कि व्यक्ति राष्ट्र, समाज, परिवार और स्वयं से एकात्म स्थापित कर लेता है, तो स्वतः ही लोक कल्याण के लिए अग्रसर हो जाता है।

राज्यपाल ने संसदीय व्यवस्था, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के नेतृत्व में परस्पर विचार-विमर्श हेतु संस्थागत प्रावधान की पहल किए जाने का सुझाव दिया। उन्होंने अप्रासंगिक हो गए कानूनों की समीक्षा का सुझाव भी दिया।

एक बयान के अनुसार ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और सांसद रंजन गोगोई ने कहा कि समाज में नैतिक आचरण में कमी आने पर नियम-कानूनों की आवश्यकता पड़ती है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में पारिवारिक मूल्यों के खत्म होने और समाज के व्यक्ति केंद्रित होते जाने के कारण आधिकाधिक कानूनों की आवश्यकता महसूस की जा रही है। गोगोई ने अपनी पुस्तक ‘‘जस्टिस फॉर द जज’’ की प्रति भी राज्यपाल मिश्र को भेंट की।

पृथ्वी

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