देश की खबरें | न्यायालय वन्नियार कोटा रद्द करने संबंधी उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपीलों पर विचार करने के लिए सहमत
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय बृहस्पतिवार को मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ याचिकाओं पर विचार करने के लिए सहमत हो गया, जिसमें तमिलनाडु में एक सबसे पिछड़े समुदाय (एमबीसी) वन्नियार को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में प्रदान किए गए 10.5 प्रतिशत आरक्षण को रद्द कर दिया गया था।
नयी दिल्ली, 16 दिसंबर उच्चतम न्यायालय बृहस्पतिवार को मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ याचिकाओं पर विचार करने के लिए सहमत हो गया, जिसमें तमिलनाडु में एक सबसे पिछड़े समुदाय (एमबीसी) वन्नियार को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में प्रदान किए गए 10.5 प्रतिशत आरक्षण को रद्द कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने हालांकि कहा कि उक्त कोटे के तहत पहले से किए गए दाखिले या नियुक्तियों को बाधित नहीं किया जाएगा।
उच्चतम न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि मामले में सुनवाई की अगली तारीख 15 फरवरी तक राज्य सरकार की सेवाओं या शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए कोई नई नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए।
पीठ ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं से कहा कि वे अपनी दलीलें तैयार करें और रिकॉर्ड और तर्कों का सुविधाजनक संकलन करने के लिए दोनों ओर से तीन वकीलों को संगठित करें।
उच्चतम न्यायालय तमिलनाडु राज्य, पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें वन्नियार को प्रदान किए गए आरक्षण को रद्द करने के उच्च न्यायालय के एक नवंबर के फैसले को चुनौती दी गई है और कहा गया है कि यह असंवैधानिक था।
तमिलनाडु विधानसभा ने फरवरी में तत्कालीन सत्तारूढ़ अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के उस विधेयक को पारित किया था जिसमें वन्नियारों के लिए 10.5 प्रतिशत का आंतरिक आरक्षण प्रदान किया गया था, साथ ही मौजूदा द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार ने इसके कार्यान्वयन के लिए इस साल जुलाई में एक आदेश जारी किया था।
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