देश की खबरें | तलोजा जेल के अफसरों ने गोलीबारी के आरोपी की जेल स्थानांतरण संबंधी याचिका को रद्द करने का अनुरोध किया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल के अधिकारियों ने रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के पूर्व कांस्टेबल चेतनसिंह चौधरी की अकोला जेल से उसे स्थानांतरित करने संबंधी याचिका को खारिज करने का अनुरोध करते हुए शुक्रवार को यहां की एक अदालत से कहा कि जेल में कैदियों की संख्या ‘‘अत्यधिक’’ है।
मुंबई, 27 दिसंबर नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल के अधिकारियों ने रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के पूर्व कांस्टेबल चेतनसिंह चौधरी की अकोला जेल से उसे स्थानांतरित करने संबंधी याचिका को खारिज करने का अनुरोध करते हुए शुक्रवार को यहां की एक अदालत से कहा कि जेल में कैदियों की संख्या ‘‘अत्यधिक’’ है।
चौधरी पर पिछले वर्ष 31 जुलाई को पालघर रेलवे स्टेशन के निकट जयपुर-मुंबई सेंट्रल सुपरफास्ट एक्सप्रेस में अपने वरिष्ठ सहयोगी सहायक उपनिरीक्षक टीका राम मीणा और तीन यात्रियों की गोली मारकर हत्या करने का आरोप है। कुछ समय बाद उसे रेल पटरियों के पास से गिरफ्तार कर लिया गया था और तब से वह जेल में है।
चौधरी ने अधिवक्ता जयवंत पाटिल के जरिये एक आवेदन दायर कर यहां से लगभग 550 किलोमीटर दूर अकोला की जेल से नवी मुंबई की जेल में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था।
शुक्रवार को अदालत ने कहा कि उसे ईमेल के जरिए तलोजा जेल का जवाब मिला है।
जवाब के अनुसार, जेल ‘‘बहुत संवेदनशील’’ है और वहां अभियुक्त को जेल से अदालत तक ले जाने के लिए पर्याप्त कर्मचारी या (वहां रखने के लिए) स्थान नहीं हैं इसलिए उसका आवेदन खारिज कर दिया जाना चाहिए।
जवाब में कहा गया है कि जेल की क्षमता लगभग 1900 विचाराधीन कैदियों की है जबकि वहां बंद कैदियों की वर्तमान संख्या 2800 है।
इसमें यह भी कहा गया है कि महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण (एमसीओसी) अधिनियम के तहत आरोपी यहां बंद हैं और वे अक्सर जेल कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं और एक-दूसरे के साथ झगड़े करते हैं।
जवाब में कहा गया है कि संरचनात्मक ऑडिट के कारण कुछ बैरक को खाली रखा गया है, इसलिए नये कैदियों के लिए कोई जगह नहीं है।
मामले की अगली सुनवाई नौ जनवरी को होगी।
चौधरी पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302 (हत्या), 153-ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), रेलवे अधिनियम और महाराष्ट्र संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं।
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