नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने उस याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार और भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से जवाब मांगा जिसमें जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के एक प्रावधान को चुनौती देते हुए दावा किया गया कि यह मतदाताओं को केवल एक उम्मीदवार होने पर ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ (नोटा) का विकल्प चुनने से रोकता है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई याचिका में अधिनियम की धारा 53 (2) को चुनौती दी गई है।
धारा 53 लड़े गए और निर्विरोध चुनावों की प्रक्रिया से संबंधित है और धारा 53 (2) कहती है कि यदि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या भरी जाने वाली सीट की संख्या के बराबर है, तो चुनाव अधिकारी तुरंत ऐसे सभी उम्मीदवारों को उन सीट को भरने के लिए विधिवत निर्वाचित घोषित करेगा।
शीर्ष अदालत ने याचिका पर केंद्र और ईसीआई को नोटिस जारी कर उनकी प्रतिक्रिया मांगी।
याचिकाकर्ता कानूनी थिंक-टैंक ‘विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी’ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार, अधिवक्ता हर्ष पाराशर के साथ उपस्थित हुए।
याचिका में अनुरोध किया गया है कि चुनाव संचालन नियम, 1961 के फॉर्म 21 और 21बी के साथ पठित नियम 11 को रद्द किया जाए। 1961 के नियमों का नियम 11 चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची के प्रकाशन और निर्विरोध चुनाव में परिणामों की घोषणा से संबंधित है।
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