देश की खबरें | ‘आल्ट न्यूज’ के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर छह जनवरी तक रोक

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले महीने गाजियाबाद के एक थाने में दर्ज प्राथमिकी के संबंध में ‘आल्ट न्यूज’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर छह जनवरी, 2025 तक के लिए शुक्रवार को रोक लगा दी।

प्रयागराज (उप्र), 20 दिसंबर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले महीने गाजियाबाद के एक थाने में दर्ज प्राथमिकी के संबंध में ‘आल्ट न्यूज’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर छह जनवरी, 2025 तक के लिए शुक्रवार को रोक लगा दी।

विवादित महंत यति नरसिंहानंद की सहयोगी उदिता त्यागी की शिकायत पर जुबैर के खिलाफ धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्यता बढ़ाने और अन्य कई आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है।

जुबैर की गिरफ्तारी पर रोक का आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने पारित किया।

यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी द्वारा की गई शिकायत में दावा किया गया कि जुबैर ने यति नरसिंहानंद के खिलाफ मुस्लिम समुदाय के बीच हिंसा भड़काने के इरादे से तीन अक्टूबर, 2024 को नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की वीडियो क्लिप पोस्ट की।

अदालत ने कहा, ‘‘हमारी राय में प्राथमिकी पढ़ने से कोई भी मान सकता है कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 196 के तहत काफी हद तक अपराध बन रहा है। हालांकि, प्राथमिकी में बीएनएस की धारा 152 के तहत कोई अपराध बनता है या नहीं, इस पर विचार करने की जरूरत है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘संबंधित पक्षों के बीच हलफनामों का आदान प्रदान होना बाकी है। अलगाववादी गतिविधि के संबंध में अपर महाधिवक्ता की दलील भी बाकी है, इसलिए हमें लगता है कि राज्य सरकार को एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को लेकर तीन सप्ताह का समय देना उचित होगा।’’

अदालत ने याचिकाकर्ता के आपराधिक इतिहास और 2022 की रिट याचिका (अपराध संख्या 279) (मोहम्मद जुबैर बनाम दिल्ली सरकार) के संबंध में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर भी गौर किया, जिसमें याचिकाकर्ता को कई आपराधिक मामलों में जमानत दी गई थी। पीठ ने कहा, ‘‘हमारा विचार है कि याचिकाकर्ता को अगली तिथि तक गिरफ्तार ना किया जाए।’’

अदालत ने कहा, ‘‘वह (जुबैर) जांच में सहयोग करेंगे और चूंकि उनके वकील ने शपथपत्र दिया है कि वह देश के बाहर नहीं जाएंगे, वह गाजियाबाद में पुलिस आयुक्त के पास अपना पासपोर्ट जमा करें।’’

उल्लेखनीय है कि गाजियाबाद में दर्ज प्राथमिकी में यह आरोप भी लगाया गया है कि जुबैर ने नरसिंहानंद की संपादित क्लिप ‘एक्स’ पर पोस्ट की जिसमें पैगंबर मोहम्मद को लेकर नरसिंहानंद की कथित तौर पर भड़काऊ टिप्पणियां शामिल थीं। इस पोस्ट का कथित तौर पर मकसद नरसिंहानंद के खिलाफ उग्र भावनाएं भड़काना था। इस पोस्ट में जुबैर ने नरसिंहानंद के कथित भाषण को ‘‘अपमानजनक’’ बताया था।

मोहम्मद जुबैर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्यता बढ़ाना), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य), 356(3) (मानहानि) और 351 (2) (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

हालांकि जांच के दौरान पुलिस ने प्राथमिकी में बीएनएस की धारा 152 (देश में हिंसा की संभावना पैदा करने वाले संदेश फैलाना) और आईटी कानून की धारा 66 जोड़ी।

जुबैर ने अपनी याचिका में अदालत से प्राथमिकी रद्द करने और उत्पीड़न की कार्रवाई से संरक्षण का अनुरोध किया है। जुबैर के वकील ने दलील दी कि उनके पोस्ट नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा भड़काने वाली नहीं, बल्कि उन्होंने नरसिंहानंद के कार्यों के बारे में पुलिस को मात्र सचेत किया और कानून के मुताबिक कार्रवाई की मांग की।

इसके अलावा, जुबैर ने मानहानि की धारा को इस आधार पर चुनौती दी है कि पहले से ही सार्वजनिक, नरसिंहानंद के स्वयं के वीडियो को साझा कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करना मानहानि का मामला नहीं हो सकता।

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