नयी दिल्ली, 10 जुलाई भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को घोषणा की कि वह लघु उपग्रहों की बढ़ती मांग के बीच अपने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) को निजी सेक्टर को सौंपेगा।
एसएसएलवी 500 किलोग्राम वजन तक के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित करने वाला वाहन है और यह मांग आधारित सेवा मुहैया कराता है।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने ‘सिया इंडिया’ द्वारा आयोजित भारत अंतरिक्ष कांग्रेस के उद्घाटन समारोह में कहा, ‘‘हमने अपना एसएसएलवी बनाया है, जिसे उद्योग जगत को स्थानांतिरत किया जाएगा और बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बड़ी संख्या में इनका उत्पादन किया जाएगा।’’
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अंतरिक्ष एजेंसी ने लघु रॉकेट को निजी उद्योग को स्थानांतरित करने के लिए बोली प्रक्रिया का मार्ग चुनने का फैसला किया है।
एसएसएलवी इसरो द्वारा विकसित छठा प्रक्षेपण यान है। उसने पिछले साल अगस्त में और इस साल फरवरी में विकास उड़ान भरी थी।
एसएसएलवी की पहली उड़ान पिछले साल अगस्त में दूसरे चरण के पृथक्करण के दौरान ‘इक्विपमेंट बे डेक’ पर कंपन संबंधी गड़बड़ी के कारण विफल रही थी।
इसरो ने गड़बड़ी का गहन विश्लेषण करने के बाद सुधारात्मक कार्रवाई की और फरवरी में एसएसएलवी का सफल प्रक्षेपण किया।
एसएसएलवी ने इसरो के ईओएस-07 उपग्रह, अमेरिकी कंपनी एंटारिस के जेनूस-1 और चेन्नई स्थित अंतरिक्ष स्टार्ट-अप स्पेस किड्ज़ के आजादीसैट-2 उपग्रहों को 450 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया था।
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