लॉकडाउन के दौरान कोविड-19 संक्रमण की जांच की रफ्तार बढ़ाई जानी चाहिये: माकपा

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये प्रेस से मुखातिब होते हुए माकपा महासचिव येचुरी ने कहा कि 21 दिन के इस लॉकडाउन को आगे बढ़ाने और बढ़ते आर्थिक नुकसान को तभी झेला जा सकता है जब इस महामारी से निपटने के लिये सही कदम उठाए जाएं।

नयी दिल्ली, 10 अप्रैल माकपा नेता सीताराम येचुरी ने शुक्रवार को कहा कि लॉकडाउन कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिये तभी फायदेमंद साबित हो सकता है जब सरकार इस दौरान जांच की रफ्तार बढ़ाते हुए कदम उठाए।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये प्रेस से मुखातिब होते हुए माकपा महासचिव येचुरी ने कहा कि 21 दिन के इस लॉकडाउन को आगे बढ़ाने और बढ़ते आर्थिक नुकसान को तभी झेला जा सकता है जब इस महामारी से निपटने के लिये सही कदम उठाए जाएं।

उन्होंने कहा कि महज लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने, आर्थिक नुकसान झेलने और लोगों की आजीविका और तंदरुस्ती छिनने की शंका को स्वीकार नहीं किया जा सकता। इन सभी का बरकरार रहना इस महामारी से निपटने के लिये बेहद महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू हुए 17 दिन हो गए हैं, फिर भी सरकार कोरोना वायरस की जांच की रफ्तार बढ़ाने में नाकाम है, जोकि लॉकडाउन का प्राथमिक उद्देश्य होना चाहिये था।

येचुरी ने कहा, ''लॉकडाउन का इस्तेमाल वायरस से सबसे अधिक प्रभावित इलाकों की पहचान कर उन्हें सील करने के लिये किया जाना चाहिये, अन्यथा हमें आर्थिक संकट के साथ साथ स्वास्थ्य आपदा का भी सामना करना पड़ेगा।''

उन्होंने कहा कि भारत में प्रति दस लाख में से केवल 102 लोगों की ही कोरोना वायरस की जांच की जा रही है। यह दर पाकिस्तान से भी कम है, जहां प्रति दस लाख में से 197 लोगों की जांच हो रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि लॉकडाउन के दौरान भूख से मौतें न हों।

येचुरी ने कहा, ''रिपोर्टों के अनुसार, भोजन या आश्रय की कमी या फिर थकावट के चलते 117 लोगों की मौत हो चुकी है। ''

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