जरुरी जानकारी | घबराहटपूर्ण बिकवाली से सोयाबीन तेल में गिरावट, बाकी तेल-तिलहन के भाव स्थिर

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. लगभग एक-डेढ़ महीने में सोयाबीन की नयी फसल की आवक शुरू होने के मद्देनजर देश में घबराहटपूर्ण बिकवाली से खाद्य तेल-तिलहन बाजार में शुक्रवार को सोयाबीन तेल के दाम में गिरावट दर्ज हुई। आयातकों द्वारा अपनी आयात लागत से भी नीचे दाम पर बिकवाली के बावजूद लिवाली कम रहने के बीच कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के अलावा सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन, तथा बिनौला तेल के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

नयी दिल्ली, 16 अगस्त लगभग एक-डेढ़ महीने में सोयाबीन की नयी फसल की आवक शुरू होने के मद्देनजर देश में घबराहटपूर्ण बिकवाली से खाद्य तेल-तिलहन बाजार में शुक्रवार को सोयाबीन तेल के दाम में गिरावट दर्ज हुई। आयातकों द्वारा अपनी आयात लागत से भी नीचे दाम पर बिकवाली के बावजूद लिवाली कम रहने के बीच कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के अलावा सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन, तथा बिनौला तेल के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

मलेशिया एक्सचेंज शुक्रवार को शाम बेहद मामूली हानि दर्शाता बंद हुआ जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में रात भी लगभग 1.5 प्रतिशत की गिरावट थी और आज भी यहां लगभग 1.5 प्रतिशत की गिरावट है।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन तेल के दाम में भारी गिरावट देखने को मिली। इसका दाम चार-पांच दिन पहले के 1,010-1,015 डॉलर प्रति टन से घटकर कल 973 डॉलर प्रति टन रह गया जबकि सीपीओ का दाम 1,000 डॉलर प्रति टन है। सोयाबीन तेल में आज की गिरावट इससे अलग है। अब सोयाबीन (सॉफ्ट आयल) के सस्ता होने के साथ सीपीओ और पामोलीन के भाव सोयाबीन तेल से अधिक हो गये हैं। विदेशों में सोयाबीन तेल-तिलहन दोनों के दाम टूटे हैं। इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। हालत यह है कि आयातकों को बंदरगाहों पर आयात की लागत से भी नीचे दाम पर बिक्री के लिए भी लिवाल मुश्किल से मिल रहे हैं। इस स्थिति को संभालने और देशी तेल-तिलहन का बाजार बनाने के लिए जरूरी है कि सरकार इस सस्ते आयात पर अंकुश लगाने के लिए आयात शुल्क बढ़ाने जैसा कोई उपाय करे। तेल संगठनों को केवल आयात-निर्यात के आंकड़े देने में व्यस्त देखा जा सकता है लेकिन देश के तेल-तिलहन उद्योग की फिक्र भी करने की भी जरूरत है, जिसकी हालत काफी खराब हो चली है।

सूत्रों ने कहा कि वैसे खाद्य तेलों के थोक दाम तो काफी सस्ते हैं पर खुदरा बाजार में स्थिति एकदम उलट है जिस पहेली को समझना आसान नहीं है। जिस तरह पिछले कई वर्षो से विभिन्न प्रवक्ताओं द्वारा केवल खाद्य तेल की महंगाई का हौव्वा खड़ा किया गया है, उसका अंतिम परिणाम अब देखा जा सकता है कि तेल-तिलहन उद्योग आज विदेशी बाजारों के हिसाब से परिचालित हो चला है। अधिक खपत वाले दूध के दाम बढ़ने को लेकर संचार माध्यमों में कभी कोई परिचर्चा या हो-हंगामा नहीं दिखता। संभवत: लाखों-करोड़ रुपये के कारोबार वाले देश के इतने बड़े तेल- तिलहन के कारोबार पर नियंत्रण के लिए जरूरी है कि देश कभी तेल-तिलहन उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर न बने। अब खाद्य तेलों की महंगाई की चिंता जताने वालों की बस इतनी जिम्मेदारी बनती है कि वे खाद्य तेलों के मौजूदा सस्ते दाम का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाने का अचूक प्रयास करें।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 5,900-5,940 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,425-6,700 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,350 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,290-2,590 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,550 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,870-1,970 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,870-1,995 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,025 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,320 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,740 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,500 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,900 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,980 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,330-4,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,140-4,265 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,125 रुपये प्रति क्विंटल।

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