दक्षिण पश्चिम मानसून सामान्य रहने का अनुमान, नये मानसून कार्यक्रम की शुरुआत : मौसम विभाग

उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिये यह स्थिति मददगार साबित होगी।

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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में दक्षिण पश्चिम मानसून के पहले दीर्घकालिक अनुमान को जारी करते हुये यह जानकारी दी। डा. राजीवन ने बताया कि पिछले सालों की तरह देश में इस साल भी मानसून सामान्य रहने का अनुमान है।

उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिये यह स्थिति मददगार साबित होगी।

उल्लेखनीय है कि दक्षिण पश्चिम मानसून, सामान्य तौर पर एक जून को दक्षिणी इलाकों से देश में दस्तक देता है और 30 सितंबर तक दक्षिण भारत से ही इसकी वापसी हो जाती है।

उन्होंने बताया कि मौसम विभाग ने मानसून के आने और वापसी से जुड़े, पिछली एक सदी के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर नया कलेंडर बनाया है। इसमें क्षेत्रीय आधार पर मानसून के आने और वापसी की तारीख तय की गयी हैं।

इसके मुताबिक दक्षिण पश्चिम मानसून के केरल तट पर दस्तक देने की तारीख पहले की तरह एक जून ही निर्धारित की गयी है। इसी प्रकार मानसून के पूरी तरह से देश से वापस होने की तारीख 15 अक्टूबर यथावत रहेगी।

डा. राजीवन ने कहा कि नये कलेंडर में महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में मानसून के आने की तारीख तीन से सात दिन तक आगे खिसक गयी है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि आज जारी किया गया पूर्वानुमान, दक्षिण पश्चिम मानसून की राष्ट्रीय स्थिति को दर्शाता है। अगले चरण में इसका क्षेत्रीय पूर्वानुमान मई के अंतिम सप्ताह या जून के पहले सप्ताह में जारी किया जायेगा। इसके आधार पर देश के विभिन्न इलाकों में मानसून के दस्तक देने और बारिश के पूर्वानुमान को बताया जायेगा।

इस दौरान मौसम विभाग के महानिदेशक डा. मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि दक्षिण पश्चिम मानसून में बारिश की मात्रा दीर्घकालिक अनुमान के मुताबिक शत प्रतिशत रहने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि मानसून के दौरान बारिश की मात्रा दीर्घकालिक अनुमान के मुताबिक 96 प्रतिशत से 104 प्रतिशत के बीच रहने की स्थिति को सामान्य श्रेणी में रखा जाता है।

डा. महापात्रा ने कहा कि इस पूर्वानुमान में मानसून के दौरान बारिश को प्रभावित करने वाले ‘अल नीनो प्रभाव’ का असर भी नहीं रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि अच्छा संकेत यह है कि बारिश के लिये बेहतर माने जाने वाले ‘ला नीनो प्रभाव’ का मानसून के अंतिम चरण में थोड़ा असर देखने को मिल सकता है।

उल्लेखनीय है कि महासागरीय हवाओं के प्रभाव को अल नीनो और ला नीनो के रूप में चिन्हित किया जाता है। मौसम विभाग हिंद महासागर में इन दोनों प्रभावों के भारत के मानसून पर पड़ने वाले असर का निरंतर विश्लेषण करता है।

विभाग द्वारा जारी बयान में मानसून के नये कलेंडर के बारे में बताया गया है कि मौजूदा कलेंडर 1901 से 1940 की अवधि में देश के मौसम संबंधी 149 स्टेशनों से दर्ज किये बारिश के आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित था। इसके अनुसार पूरे देश को उस समय मानसून के आधार पर 149 क्षेत्रीय केन्द्रों (स्टेशन) में बांटा गया था। इन सालों में 149 स्टेशनों पर मानसून के दस्तक देने और वापसी के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर स्वतंत्र भारत में मानसून कलेंडर लागू किया गया था।

नये कलेंडर में 1961 से 2019 तक मानसून के आने की तारीखों के विश्लेषण के आधार पर देश के विभिन्न इलाकों में मानसून के दस्तक देने की तारीख का निर्धारण किया गया है। इसी प्रकार मानसून की वापसी की तारीख, 1971 से 2019 तक के आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है।

उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ दशकों से जलवायु संबंधी परिस्थितियों में सामान्य रूप से होने वाले समयगत बदलावों को देखते हुये मानसून की दस्तक और वापसी, पूर्व निर्धारित कार्यक्रम से पहले या देर से हो रही थी। इसे देखते हुये मौसम विभाग ने 1950 के दशक में निर्धारित किये गये मानसून के कार्यक्रम को इस साल पुनर्निर्धारित किया है।

नये कलेंडर के मुताबिक केरल के तिरुवनंतपुरम में मानसून के दस्तक देने की तारीख एक जून ही रहेगी, जबकि चेन्नई (तमिलनाडु) और उडुपी (कर्नाटक) में यह तारीख, एक जून के बजाय चार जून होगी। वहीं, हैदराबाद में अब मानसून की दस्तक सात जून के बजाय आठ जून और वापसी 15 अक्टूबर के बजाय 14 अक्टूबर को होगी।

नये कलेंडर के मुताबिक मुंबई इलाके में मानसून अब अधिक दिनों तक टिकेगा। मुंबई में अब मानसून 10 जून के बजाय 11 जून तक दस्तक देगा और 29 सितंबर के बजाय आठ अक्टूबर तक वापसी करेगा।

गौरतलब है कि मौसम के लिहाज से देश को 63 क्षेत्रीय केन्द्रों में बांटा गया है। इनमें उत्तर प्रदेश के वाराणसी क्षेत्र के लिये अब मानसून के दस्तक देने की तारीख 15 जून के बजाय 20 जून और वापसी की तारीख छह अक्टूबर के बजाय पांच अक्टूबर निर्धारित की गयी है। इसके अलावा दिल्ली में मानसून के आने की तारीख अब 23 जून के बजाय 27 जून और वापसी की तारीख 22 सितंबर के बजाय 25 सितंबर होगी।

निर्मल नरेश

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