पश्चिम बंगाल के कुछ प्रख्यात लोगों ने ममता बनर्जी को विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति बनाए जाने का विरोध किया
पश्चिम बंगाल की जानी-मानी हस्तियों के एक समूह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति नियुक्त किए जाने पर असंतोष जताते हुए इस कदम को विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता के लिए एक बड़ा झटका और लोकतंत्र की भावना के खिलाफ बताया है.
कोलकाता, 12 जून : पश्चिम बंगाल की जानी-मानी हस्तियों के एक समूह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति नियुक्त किए जाने पर असंतोष जताते हुए इस कदम को विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता के लिए एक बड़ा झटका और लोकतंत्र की भावना के खिलाफ बताया है. प्रख्यात शख्सियतों के इस समूह ने यह भी कहा कि राज्य मंत्रिमंडल के इस फैसले में कुलाधिपति के पद पर एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद को नियुक्त करने की लंबे समय से जारी लोगों की मांग की भी अनदेखी की गयी है.
समूह ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा, ‘‘हम मुख्यमंत्री को राज्य के विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति नियुक्त करने के हालिया फैसले से हैरान और स्तब्ध हैं. हम सभी शैक्षणिक संस्थानों की स्वायत्तता और स्वतंत्रता की अनिवार्यता के बारे में जानते हैं, और इस तरह का निर्णय इसके लिए बड़ा झटका साबित होगा, साथ ही यह फैसला लोकतंत्र की भावना के भी खिलाफ है.’’
इस समूह में अभिनेता कौशिक सेन, निर्देशक अनिक दत्ता और राजा सेन, चित्रकार समीर आइच, अभिनेता बिभास चक्रवर्ती, सामाजिक कार्यकर्ता मिरातुन नाहर और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुजातो भद्र जैसे 40 लोग शामिल हैं, जिन्होंने बयान पर हस्ताक्षर कर अपना असंतोष जताया है. यह भी पढ़ें : गुजरात विधानसभा चुनाव में विपक्ष के मतों का बंटवारा कर सकती है आप : राजनीतिक विशेषज्ञ
उन्होंने कहा कि यदि कुलाधिपति के पद पर किसी शिक्षाविद् की नियुक्ति की जाती है तो इससे संस्थानों के संचालन में बाहरी हस्तक्षेप को रोका जा सकेगा. समूह ने बयान में कहा कि सत्ता में आने के बाद से मौजूदा सरकार प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, स्कूल प्रबंधन समितियों और उच्च शिक्षण संस्थानों के शासी निकायों को चलाने के लिए अपने लोगों को नियुक्त कर रही है.
कौशिक सेन ने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘मैं इस नियुक्ति का उतना ही विरोध करता हूं, जितना कि हम राज्यपाल को विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने की प्रथा के खिलाफ हैं.’’