देश की खबरें | सिद्धरमैया ने कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने के फैसले का स्वागत किया
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बेंगलुरु, 24 जनवरी कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ समाजवादी नेता दिवंगत कर्पूरी ठाकुर को देने के फैसले का बुधवार को स्वागत किया और कहा कि ठाकुर को ‘‘बिहार का देवराज उर्स’’ माना जाता है।
देवराज उर्स कर्नाटक के पहले मुख्यमंत्री थे और उन्हें कर्नाटक के अब तक के सबसे महान समाज सुधारकों में से एक माना जाता है।
सिद्धरमैया ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि कर्पूरी सामाजिक न्याय के प्रबल पक्षधर थे।
उन्होंने कन्नड़ में किए एक पोस्ट में कहा, ‘‘यह कहते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है कि भारत रत्न सम्मान सामाजिक न्याय के प्रबल पक्षधर को दिया जाएगा। 70 के दशक में कर्नाटक के मॉडल पर बिहार में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करने वाले कर्पूरी ठाकुर को ‘बिहार का देवराज उर्स’ कहा जाता है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पिछड़ा सविता समुदाय से आने वाले कर्पूरी ठाकुर बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे जो उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है। वह भारत रत्न सम्मान के असली हकदार हैं। उन्हें मेरा सादर प्रणाम।’’
नाई समाज से संबंध रखने वाले ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को हुआ था। उन्हें बिहार की राजनीति में 1970 में पूरी तरह शराब पाबंदी लागू करने का श्रेय दिया जाता है। समस्तीपुर जिले में जिस गांव में उनका जन्म हुआ था, उसका नामकरण कर्पूरी ग्राम किया गया।
राष्ट्रपति भवन ने मंगलवार को घोषणा कि ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न दिया जाएगा।
‘जननायक’ के रूप में मशहूर ठाकुर दिसंबर 1970 से जून 1971 तक और दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। उनका 17 फरवरी, 1988 को निधन हो गया था।
कर्नाटक के दो बार पूर्व मुख्यमंत्री रहे देवराज उर्स को राज्य में एक मूक सामाजिक क्रांति की शुरुआत करने और 1972 से अपने आठ साल के शासनकाल के दौरान भूमि सुधार करने का श्रेय दिया जाता है। उर्स ने राज्य में दलितों के कल्याण में बहुत बड़ा योगदान दिया। उन्हें गरीबों की आवाज़ माना जाता था।
उप मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने वंचितों की आवाज देवराज उर्स को भारत रत्न से सम्मानित किया जाने की मांग की।
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