Jhansi Medical College Fire: सदमे में डूबे माता-पिता झांसी के अस्पताल में अपने नवजात शिशुओं को बचाने में नाकाम रहें

उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित मेडिकल के बच्चों के वार्ड के बाहर याकूम मंसूरी शुक्रवार रात फुटपाथ पर सो रहे थे, तभी नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में आग लग गयी. वे खिड़की तोड़कर अंदर घुसे और कुछ नवजात शिशुओं को बचाने में सफल रहे, लेकिन अपनी दो बेटियों को नहीं बचा पाए.

झांसी (उप्र), 16 नवंबर : उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित मेडिकल के बच्चों के वार्ड के बाहर याकूम मंसूरी शुक्रवार रात फुटपाथ पर सो रहे थे, तभी नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में आग लग गयी. वे खिड़की तोड़कर अंदर घुसे और कुछ नवजात शिशुओं को बचाने में सफल रहे, लेकिन अपनी दो बेटियों को नहीं बचा पाए. अधिकारियों ने उन्हें पहचान के लिए कुछ शिशुओं के जले हुए शव दिखाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. अपनी बेटियों को खोजने के लिए बेताब पिता ने कहा, "मैं उन्हें पहचान नहीं पाया." नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में लगी आग, जिसमें 10 नवजात शिशुओं की जान चली गई, जिनमें से कई समय से पहले पैदा हुए थे, को बुझा दिया गया है, लेकिन चारों ओर गम का माहौल है. माता-पिता, जिनमें ज्यादातर युवा माताएं थीं, और उनके परिवार के सदस्य बच्चों के वार्ड के बाहर एकत्र हुए, एक-दूसरे से लिपट कर अपने सबसे बुरे समय में ताकत पा रहे थे. महिलाओं के चेहरे घूंघट के पीछे छिपे हुए थे, लेकिन उनकी चीखों में उनका दुख साफ झलक रहा था.

संतोषी, जिसने महज 11 दिन पहले बच्चे को जन्म दिया था, अपने चेहरे को हथेलियों से ढक कर जमीन पर बैठी रो रही थी. उसने दुख से कांपती आवाज़ में कहा, "मैंने शोर सुना और दौड़कर आई. लेकिन मैं अपने बच्चे को कैसे बचा सकती थी . कोई जानकारी नहीं थी, किसी ने हमें नहीं बताया कि क्या हो रहा है." शुक्रवार रात करीब 10.45 बजे संभवतः बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई. बचाव अभियान के दौरान, कई चिंतित माता-पिता और उनके परिवार के सदस्य चुपचाप बैठे रहे, जो इस त्रासदी के पैमाने को समझने के लिए संघर्ष कर रहे थे. आग में 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई, जबकि 16 अन्य गंभीर रूप से घायल हैं. दुखी माता-पिता में संजना भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने पहले बच्चे को समय से पहले जन्म दिया था. रोती हुई मां ने पीटीआई वीडियो को बताया, "मेरा बच्चा सात महीने बाद पैदा हुआ और उसे यहां भर्ती कराया गया. जब आग लगी, तो कोई भी उसे नहीं बचा सका. उसकी मौत हो गई." यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र के लोगों को ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारों से भड़काया नहीं जा सकता: राज बब्बर

पास में ही सोनू खड़ा था, उसके चेहरे पर दुख का भाव था. उसने अपने सात महीने के बेटे को आग में खो दिया. उसने दर्द से भरी आवाज़ में कहा,"मेरा बेटा एक महीने से ज़्यादा समय से एनआईसीयू में भर्ती था. जब आग लगी, तो हमें अंदर जाने की अनुमति नहीं थी. उन्होंने कई बच्चों को बचाया, लेकिन 10 जल गए. उनमें से एक मेरा बेटा भी था ." सोनू के भाई परशुराम ने कहा, "हमने अपना सब कुछ बेच दिया और दवा खरीदने के लिए कर्ज लिया ताकि उसे ज़रूरी इलाज मिल सके. इन सबके बावजूद, हम अपने बच्चे को नहीं बचा पाए." उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रत्येक मृतक के माता-पिता को पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है और घटना की तीन-स्तरीय जांच के आदेश भी दिए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मौतों पर शोक व्यक्त किया और प्रत्येक मृतक के परिजनों को दो लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की.

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