देश की खबरें | अभिभावकों को प्रबंधन समितियों के करीब लाने में मदद करेंगे 'स्कूल मित्र'

नयी दिल्ली, 23 सितंबर दिल्ली के सरकारी स्कूल विद्यालय प्रबंधन समितियों (एसएमसी) तथा अभिभावकों के बीच की दूरी को पाटने के लिए स्वयंसेवी माता-पिता की मदद लेगें, जिन्हें 'स्कूल मित्र' कहा जाएगा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

यह कदम बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में की गई टिप्पणियों के बाद उठाया गया है कि स्कूलों में एसएमसी की सक्रिय भागीदारी के बावजूद, दिल्ली में सरकारी स्कूलों में जाने वाले छात्रों के अभिभावकों में से 63 प्रतिशत अभिभावक एसएमसी के अस्तित्व के बारे में नहीं जानते।

शिक्षा निदेशालय की अतिरिक्त निदेशक जरीन ताज ने कहा, "यह एक असुविधाजनक संकेत है क्योंकि एसएमसी माता-पिता और स्कूलों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करने के लिए हैं। इसके जरिये माता-पिता की विभिन्न चिंताएं स्कूल प्रबंधन तक पहुंच सकती हैं। हालांकि, ऐसी कोई संरचना या तंत्र मौजूद नहीं है, जिसके द्वारा एसएमसी सदस्य निरंतर आधार पर माता-पिता से संपर्क कर सकें। ऐसे में दोनों के बीच अंतर पैदा हो गया है।‘’

उन्होंने कहा, "एसएमसी और माता-पिता के बीच की खाई को पाटने के लिए स्वयंसेवी माता-पिता को स्कूलों में 'स्कूल मित्र' के रूप में नामित किया गया है, जो एसएमसी की सहायता करके सामुदायिक सेवाएं प्रदान करेंगे। एसएमसी और स्कूल मित्र के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के वास्ते ‘अभिभावक संपर्क कार्यक्रम' के लिए एक क्षेत्रीय निगरानी समिति का होना आवश्यक है।"

डीओई ने स्कूलों को निर्देश दिया है कि समिति शिक्षक संयोजक और नोडल व्यक्तियों को प्रेरित करके क्षेत्रीय स्तर पर संपर्क कार्यक्रम के प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करेगी।

ताज ने कहा, "एक स्कूल को तब सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला स्कूल कहा जाता जब सभी हितधारक छात्रों के समग्र विकास में शामिल होते हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत एसएमसी की परिकल्पना स्कूलों के शासन, निगरानी और जवाबदेही में माता-पिता की भागीदारी बढ़ाने और माता-पिता तथा स्कूलों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करने के साधन के रूप में की गई थी।‘’

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